राजस्थान में बोर्ड परीक्षा में कम रहा रिजल्ट तो नपेंगे सरकारी टीचर, तबादला होगा और 17 सीसीए की कार्रवाई भी होगी

माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने बोर्ड कक्षाओं के परीक्षा परिणाम की समीक्षा के मापदंड को लेकर नया परिपत्र जारी किया है। परीक्षा परिणाम कम आने पर उठाए जाने वाले कदमों में बदलाव किया गया है। अब 5 साल में एक बार परीक्षा परिणाम निर्धारित मापदंड से कम आने पर संबंधित शिक्षक और संस्था प्रधान को लिखित चेतावनी मिलेगी और उनका तबादला भी हो सकता है। वहीं, अगर बोर्ड कक्षाओं का परिणाम लगातार 2 साल या 5 साल में कुल 3 साल कम आता है तो संबंधित शिक्षक के खिलाफ 17 सीसीए की कार्रवाई की जाएगी।
नए प्रावधान में संस्थाओं के कार्यवाहक प्रधानों को भी छूट दी गई है, जैसे कि अगर कोई व्याख्याता या शिक्षक अपनी कक्षा को पढ़ाने के साथ-साथ प्रिंसिपल के तौर पर भी काम करता है तो संस्था प्रधान के तौर पर उसका परीक्षा परिणाम निर्धारित मापदंड का आधा यानी 50% होने पर ही कम माना जाएगा। वहीं, अगर विषय योग्यता नहीं रखने वाले शिक्षक उच्च कक्षाओं में पढ़ाते हैं तो उन्हें भी मापदंड में 50% छूट दी गई है। नए प्रावधान 10वीं व 12वीं सहित 8वीं व 5वीं कक्षा के संस्था प्रधानों व शिक्षकों के लिए सत्र 2024-25 से लागू होंगे।
शिक्षक संघ ने जताई नाराजगी
राजस्थान प्राथमिक माध्यमिक शिक्षक संघ के मुख्य महासचिव महेंद्र पांडे ने कहा कि यह निर्णय सही है। एक वर्ष के कम परिणाम के लिए केवल लिखित चेतावनी देने व 5 वर्षों के कम परिणाम की गणना करने से शिक्षकों को राहत मिलेगी और विभाग का कार्यभार भी कम होगा।
कम परिणाम के लिए यह होंगे मापदंड
शिक्षा विभाग ने कम परिणाम के लिए मापदंड भी तय कर दिए हैं। इसमें व्याख्याताओं के लिए कक्षा 12 में विषय का परिणाम 70 प्रतिशत या इससे कम तथा कक्षा 10 में विषय का परिणाम 60 प्रतिशत या इससे कम होने पर तथा कक्षा 8वीं व 5वीं में 40 प्रतिशत या इससे अधिक विद्यार्थियों को 'ई' ग्रेड मिलने पर संबंधित शिक्षक का परिणाम कम माना जाएगा।
जबकि संस्था प्रधान के लिए यदि कक्षा 10 का परिणाम 50 प्रतिशत या इससे कम तथा कक्षा 12 का परिणाम 60 प्रतिशत या इससे कम है तथा कक्षा 8 व 5 में 50 प्रतिशत या इससे अधिक विद्यार्थियों को 'ई' ग्रेड मिलता है तो संस्था प्रधान का परिणाम कम माना जाएगा।