राजस्थान में SI भर्ती घोटाले को लेकर हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व में धरना-प्रदर्शन, युवाओं का गुस्सा बढ़ा

राजस्थान में पुलिस उप निरीक्षक (SI) भर्ती घोटाले को लेकर हंगामा लगातार बढ़ता जा रहा है। जयपुर के शहीद स्मारक पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेता और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व में धरना चल रहा है। बेनीवाल और उनके समर्थक इस भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और धांधली के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उनकी मुख्य मांग है कि इस भर्ती को रद्द कर राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) का पुनर्गठन किया जाए।
युवाओं का बड़ा आक्रोश, जयपुर में हुई युवा महारैली
हाल ही में जयपुर में आयोजित युवा आक्रोश महारैली में प्रदेश भर से हजारों युवा शामिल हुए। इस रैली ने सरकार को साफ संदेश दिया कि युवाओं का गुस्सा सीमा पार कर चुका है। हनुमान बेनीवाल ने कहा कि भजनलाल सरकार ने चुनाव से पहले युवाओं को नौकरी और पारदर्शिता का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद उन वादों को भूल गई। उन्होंने सरकार पर युवाओं के साथ वादाखिलाफी करने का आरोप लगाया। “युवाओं का भरोसा टूट रहा है, लेकिन हमारा संघर्ष सरकार को झुकने पर मजबूर करेगा।”
एसओजी की जांच पर उठे सवाल
हनुमान बेनीवाल ने विशेष जांच दल (एसओजी) की जांच प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि इस घोटाले में सैकड़ों लोग पकड़े गए हैं, लेकिन एसओजी अब तक आरोपियों पर चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई है। इसका फायदा कुछ आरोपी उठाकर जमानत पर छूट रहे हैं। बेनीवाल ने एक पूर्व आरपीएससी सदस्य रामूराम राईका के बेटे-बेटी का उदाहरण देते हुए बताया कि दोनों कथित फर्जीवाड़े के ज़रिए SI बने हैं। सुप्रीम कोर्ट में राईका की बेटी की जमानत सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कोई वकील भी पेश नहीं हुआ, जो सरकार की मंशा पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
सरकार पर भ्रष्टों को बचाने का आरोप
हनुमान बेनीवाल ने साफ कहा कि सरकार भ्रष्ट तंत्र के साथ मिली हुई है और भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने में लगी हुई है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक भर्ती प्रक्रिया को रद्द नहीं किया जाता। उनके मुताबिक, मेहनती युवाओं का हक छीन लिया गया है और सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है।
युवाओं में भारी नाराजगी
राजस्थान के युवाओं में इस SI भर्ती घोटाले को लेकर गुस्सा बढ़ता जा रहा है। हनुमान बेनीवाल ने सरकार से कहा कि वह युवाओं की ताकत को समझे और उनके हक के लिए ठोस कदम उठाए। युवाओं का ये आक्रोश अब आंदोलन का रूप ले चुका है, जो राज्य की सियासी व्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है।