
राजस्थान विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले प्रतिष्ठित महारानी कॉलेज परिसर में अवैध मजार निर्माण को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। धार्मिक संगठनों ने कॉलेज परिसर में शैक्षणिक भूमि पर कथित रूप से अतिक्रमण कर मजार बनाए जाने का आरोप लगाते हुए प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस मुद्दे ने न केवल शैक्षणिक वातावरण को प्रभावित किया है, बल्कि राजनीतिक और धार्मिक स्तर पर भी हलचल मचा दी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जयपुर के कॉलेज परिसर में हाल ही में एक मजार का निर्माण किया गया है, जिसे स्थानीय धार्मिक संगठन अवैध और नियमों के विरुद्ध बता रहे हैं। संगठनों का कहना है कि यह भूमि पूरी तरह से शैक्षणिक गतिविधियों के लिए आरक्षित है, और इस पर किसी भी प्रकार का धार्मिक निर्माण न केवल शिक्षा व्यवस्था में हस्तक्षेप है, बल्कि यह भविष्य में सांप्रदायिक तनाव को भी जन्म दे सकता है।
धार्मिक संगठनों ने जताया विरोध
हिंदू संगठनों और स्थानीय नागरिक समूहों ने मंगलवार को कॉलेज गेट के बाहर एकत्र होकर विरोध प्रदर्शन किया और जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि शासन-प्रशासन की मिलीभगत से यह अतिक्रमण हुआ है और यदि समय रहते इसे नहीं हटाया गया, तो बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा।
विरोध कर रहे संगठनों के नेताओं ने कहा, "शैक्षणिक परिसरों को राजनीति और धार्मिक गतिविधियों से दूर रखा जाना चाहिए। यह कॉलेज छात्राओं की शिक्षा का स्थान है, न कि किसी विशेष समुदाय के धार्मिक निर्माण का। प्रशासन यदि इस मामले में निष्क्रिय रहा तो हमें मजबूरन उग्र आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।"
प्रशासन की सफाई
इस बीच जिला प्रशासन और विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से स्थिति का जायजा लेने की बात कही गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, "हमें शिकायत मिली है और संबंधित अधिकारियों को स्थल निरीक्षण के निर्देश दिए गए हैं। यदि कोई अवैध निर्माण पाया जाता है, तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।"
विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी फिलहाल इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि वे इस विषय पर छात्रों और शिक्षकों से भी फीडबैक ले रहे हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी शुरू
इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाज़ी भी शुरू हो गई है। विपक्ष ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि वह तुष्टिकरण की राजनीति के तहत ऐसे अतिक्रमणों को नजरअंदाज कर रही है। वहीं, सत्ताधारी दल की ओर से फिलहाल संयम बरतने और मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया गया है।