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राजस्थान में बिजली संकट की आशंका गहराई, कालीसिंध थर्मल की यूनिट 40 दिन के लिए शटडाउन

राजस्थान में बिजली संकट की आशंका गहराई, कालीसिंध थर्मल की यूनिट 40 दिन के लिए शटडाउन

राजस्थान में एक बार फिर बिजली संकट के बादल मंडराने लगे हैं। राज्य की प्रमुख तापीय बिजली परियोजनाओं में से एक कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट की दूसरी यूनिट को 40 दिनों के लिए शटडाउन कर दिया गया है। इस लंबे शटडाउन के चलते बिजली उत्पादन में बड़ी गिरावट आने की आशंका है, जिससे राज्य में बिजली की आपूर्ति पर असर पड़ सकता है।

तकनीकी मरम्मत के लिए लंबा शटडाउन

प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, इस बार यूनिट को लंबे समय के लिए बंद किया गया है ताकि उसमें तकनीकी मरम्मत और जरूरी सुधार कार्य पूरी तरह से किया जा सके। यह पहली बार नहीं है जब कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट की यूनिट बंद की गई हो। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों यूनिट्स में सालभर में 10 से 12 बार तकनीकी खामियों के चलते उत्पादन प्रभावित होता है, लेकिन आमतौर पर उन्हें 2-4 दिनों में पुनः चालू कर दिया जाता है। इस बार का शटडाउन अपेक्षाकृत लंबा है।

मानसून से फिलहाल राहत, लेकिन...

फिलहाल राज्य में मानसून सक्रिय होने की वजह से बिजली की मांग में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित बिजली खपत कम हुई है और घरेलू लोड भी अपेक्षाकृत कम है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बारिश का दौर थम गया या गर्मी दोबारा बढ़ गई, तो बिजली की मांग तेज़ी से बढ़ेगी, जिससे संकट और गहरा सकता है।

वैकल्पिक व्यवस्था पर निर्भरता बढ़ेगी

कालीसिंध थर्मल की दूसरी यूनिट के बंद होने के चलते राज्य को अब अन्य पावर प्लांट्स और निजी क्षेत्र से बिजली खरीदने पर निर्भर रहना पड़ेगा। इससे न केवल राज्य की बिजली खरीद लागत बढ़ेगी, बल्कि यदि सप्लाई बाधित हुई तो घंटों की बिजली कटौती भी देखी जा सकती है, विशेषकर ग्रामीण और औद्योगिक क्षेत्रों में।

सरकार की प्रतिक्रिया

ऊर्जा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यूनिट को बंद करना पूर्व नियोजित तकनीकी प्रक्रिया का हिस्सा है और यह दीर्घकालिक स्थायित्व के लिए जरूरी है। सरकार ने दावा किया है कि बिजली की आपूर्ति पर इसका तत्काल असर नहीं पड़ेगा, और वैकल्पिक स्रोतों से मांग की पूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।

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