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परिवार के साथ वाइल्ड एडवेंचर का प्लान बना रहे हैं? वीडियो में जानिए रणथम्भौर नेशनल पार्क है गर्मी में घूमने की क्यों है परफेक्ट जगह

परिवार के साथ वाइल्ड एडवेंचर का प्लान बना रहे हैं? वीडियो में जानिए रणथम्भौर नेशनल पार्क है गर्मी में घूमने की क्यों है परफेक्ट जगह

राजस्थान की रेतीली धरती पर बसा रणथम्भौर नेशनल पार्क गर्मियों की छुट्टियों में एडवेंचर और वाइल्डलाइफ प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग समान बन गया है। मई-जून की तपती दोपहरों में जब अधिकतर लोग ठंडी जगहों की तलाश में होते हैं, वहीं कुछ रोमांचपसंद पर्यटक रणथम्भौर के जंगलों में शेर, बाघ और तेंदुओं के दीदार की चाह में निकल पड़ते हैं।


रणथम्भौर: बाघों की धरती
सवाई माधोपुर जिले में स्थित रणथम्भौर नेशनल पार्क भारत के प्रमुख बाघ अभयारण्यों में से एक है। 1334 वर्ग किलोमीटर में फैला यह पार्क कभी जयपुर रियासत के राजाओं का शिकार स्थल हुआ करता था। 1973 में 'प्रोजेक्ट टाइगर' के अंतर्गत इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया, और तब से यहां बाघों की आबादी में लगातार सुधार हो रहा है। वर्तमान में यहां करीब 80 से अधिक रॉयल बंगाल टाइगर हैं।

गर्मियों में क्यों खास है रणथम्भौर?
गर्मियों का मौसम भले ही सामान्य यात्रियों के लिए कठिन हो, लेकिन वाइल्डलाइफ फोटोग्राफरों और जंगल सफारी के शौकीनों के लिए यही समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। इसका कारण यह है कि गर्मी के दौरान जानवर जलस्रोतों के आसपास दिखाई देते हैं, जिससे उन्हें देखना आसान हो जाता है।विशेषकर बाघों को देखने के मौके गर्मियों में बढ़ जाते हैं, क्योंकि वे दोपहर के समय जलाशयों में आराम करते पाए जाते हैं। पर्यटक अक्सर पदम तालाब, राजबाग तालाब और मलिक तालाब जैसे जलस्रोतों के पास इनका दीदार कर सकते हैं।

सफारी का रोमांच
रणथम्भौर में सफारी का अनुभव किसी फिल्मी दृश्य जैसा लगता है। पार्क को 10 जोन में बांटा गया है, जिनमें से प्रत्येक की अपनी खासियत है। सफारी के लिए पर्यटक दो विकल्पों में से चुन सकते हैं – 6 सीटों वाली जिप्सी या 20 सीटों वाला कैन्टर।सुबह और शाम की दो पाली में सफारी कराई जाती है। सुबह की सफारी सुबह 6 बजे से 9:30 बजे तक और शाम की सफारी 3:30 बजे से 7 बजे तक होती है। इन घंटों में जानवरों की गतिविधियाँ अधिक होती हैं।जोन 1 से 5 को कोर ज़ोन माना जाता है, जहां बाघों की आमद सबसे अधिक रहती है। वहीं जोन 6 से 10 बफर ज़ोन में आते हैं, लेकिन यहां भी कई बार दुर्लभ दृश्य देखने को मिलते हैं।

वन्यजीवन की विविधता
रणथम्भौर सिर्फ बाघों के लिए नहीं, बल्कि विविध वन्यजीवन के लिए प्रसिद्ध है। यहां तेंदुआ, भालू, लकड़बग्घा, जंगली बिल्ली, सियार, सांभर, चीतल, नीलगाय, मगरमच्छ और सैकड़ों पक्षियों की प्रजातियां मौजूद हैं।यह पक्षीप्रेमियों के लिए भी किसी जन्नत से कम नहीं है। खासकर मोर, लाल मुंह वाला कठफोड़वा, चील, बाज, बगुला, फ्लेमिंगो और सर्पगिद्ध जैसी प्रजातियां यहां दिखाई देती हैं।

रणथम्भौर किला और ऐतिहासिकता
पार्क के बीचोंबीच 10वीं सदी का रणथम्भौर किला स्थित है, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है। इस किले से पार्क का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है। पर्यटक किले के अंदर त्रिनेत्र गणेश मंदिर, जैन मंदिर और विभिन्न जलकुंडों का दर्शन कर सकते हैं।

पर्यटन के लिए तैयार सुविधाएं
रणथम्भौर में पर्यटन के लिए समुचित सुविधाएं विकसित की गई हैं। सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन से पार्क की दूरी महज 11 किमी है और यहां तक दिल्ली, जयपुर, कोटा जैसे शहरों से सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं।पार्क के पास अनेक रिसॉर्ट्स, होटल्स और होमस्टे ऑप्शन्स मौजूद हैं, जो सभी बजट के पर्यटकों के लिए उपयुक्त हैं। कुछ लक्ज़री रिसॉर्ट्स जंगल अनुभव को बेहद शानदार ढंग से प्रस्तुत करते हैं।

क्या रखें ध्यान?
पार्क में प्रवेश के लिए पहले से ऑनलाइन बुकिंग करवाना जरूरी है।
सफारी के दौरान शांत रहें, जानवरों को तंग न करें।
हल्के और आरामदायक कपड़े पहनें, टोपी और धूप का चश्मा जरूरी है।
कैमरा और दूरबीन साथ रखें, लेकिन फ्लैश फोटोग्राफी से बचें।

निष्कर्ष
अगर आप गर्मियों की छुट्टियों में कुछ अनोखा और रोमांचक करना चाहते हैं, तो रणथम्भौर नेशनल पार्क एक आदर्श गंतव्य है। यहां का जंगल, वन्यजीवों की चहल-पहल, बाघों की दहाड़ और ऐतिहासिक किला मिलकर एक ऐसा अनुभव बनाते हैं, जिसे आप जीवनभर नहीं भूल पाएंगे।तो इस बार की छुट्टियों में पहाड़ों की ठंडी हवा छोड़िए और जंगल की रहस्यमय दुनिया में एक बार जरूर कदम रखिए – हो सकता है, आपके कैमरे में कैद हो जाए एक बाघ की यादगार तस्वीर!

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