नीरजा मोदी स्कूल की मान्यता रद्द होने पर भी परिजन असंतुष्ट, शिक्षा विभाग और पुलिस से उठाई कड़ी कार्रवाई की मांग
जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल में चौथी कक्षा की छात्रा अमायरा की आत्महत्या के मामले में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा स्कूल की सीनियर सेकेंडरी स्तर तक की मान्यता रद्द किए जाने के बावजूद परिजन संतुष्ट नहीं हैं। परिजनों का कहना है कि सिर्फ मान्यता रद्द करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि इस पूरे मामले में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
परिजनों और सामाजिक संगठनों का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन की लापरवाही, मानसिक दबाव और कथित उत्पीड़न के कारण मासूम छात्रा को यह कदम उठाना पड़ा। उनका कहना है कि जब तक दोषी शिक्षकों, स्कूल प्रबंधन और संबंधित अधिकारियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी नहीं की जाती, तब तक न्याय अधूरा रहेगा।
परिजनों ने राजस्थान शिक्षा विभाग से मांग की है कि स्कूल प्रबंधन के खिलाफ राज्य स्तर पर भी कार्रवाई की जाए। इसके तहत स्कूल की अन्य कक्षाओं की मान्यता की समीक्षा, आर्थिक दंड और भविष्य में इस तरह की घटनाएं रोकने के लिए कड़े दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। साथ ही उन्होंने शिक्षा विभाग से निजी स्कूलों की मॉनिटरिंग व्यवस्था को मजबूत करने की भी मांग की है।
वहीं, पुलिस प्रशासन से परिजनों ने इस मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने (एबेटमेंट टू सुसाइड) की धाराओं में केस दर्ज कर निष्पक्ष और तेज जांच की मांग की है। परिजनों का कहना है कि मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी या विशेष जांच टीम (SIT) से कराई जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके।
इस बीच, सीबीएसई की कार्रवाई के बाद स्कूल प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों और अभिभावकों में आक्रोश है और कई संगठनों ने पीड़ित परिवार के समर्थन में प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि अगर समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए तो निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की मानसिक सुरक्षा पर सवाल खड़े होते रहेंगे।
गौरतलब है कि छात्रा की आत्महत्या के बाद यह मामला प्रदेशभर में सुर्खियों में आया था। सीबीएसई ने जांच के बाद स्कूल की संबद्धता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी थी। हालांकि, परिजनों का साफ कहना है कि “मान्यता रद्द होना एक प्रशासनिक कार्रवाई है, लेकिन हमें अपनी बेटी के लिए न्याय चाहिए।”

