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अफसरों की काली कमाई शेयर मार्केट म्यूचुअल फंड में इंवेस्ट, वीडियो में देखें मोटी फीस से पढ़ रहे घूसखोरों के बच्चे

देश में भ्रष्टाचार से जुड़ी आय से अधिक संपत्ति (DA – Disproportionate Assets) के मामलों में अब नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। पहले जहां घूस की रकम को ज़मीन, मकान, सोना और कैश के रूप में छिपाया जाता था, अब कई सरकारी अफसर और कर्मचारी इस काली कमाई को शेयर बाजार में लगाकर उसे दोगुना-तिगुना करने में जुटे हैं।

इस चौंकाने वाले खुलासे का खुलासा एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की हालिया जांच में हुआ है। देशभर में अलग-अलग विभागों के उन अफसरों की जांच में यह बात सामने आई है, जो पहले से एसीबी की रडार पर थे।

अब काली कमाई का नया ‘इन्वेस्टमेंट मॉडल’

एसीबी के अधिकारियों के अनुसार, भ्रष्ट अफसर अब पारंपरिक तरीकों की बजाय शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड और डिजिटल एसेट्स जैसे साधनों में निवेश कर रहे हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इनकम को छिपाना आसान हो जाता है, और पैसे को लीगल फॉर्म में दिखाना भी सरल हो जाता है।

एक अधिकारी ने बताया, "हमने हाल ही में एक इंजीनियर के घर छापा मारा। उसके पास ना तो जमीन ज्यादा निकली, ना ही सोने-चांदी के ढेर। लेकिन जब उसके डीमैट अकाउंट्स खंगाले गए, तो उसमें करोड़ों रुपये के शेयर्स और म्यूचुअल फंड्स का निवेश मिला। पूछताछ में उसने माना कि ये रकम उसने रिश्वत से कमाई थी, जिसे शेयर बाजार में लगाया गया था।"

डिजिटल ट्रेल बना सबसे बड़ा हथियार

एसीबी के लिए डिजिटल रिकॉर्ड अब एक अहम हथियार बनता जा रहा है। जांच में यह भी पाया गया कि कुछ अफसरों ने अपने परिजनों और करीबियों के नाम पर फर्जी अकाउंट खोलकर, उन्हीं के जरिए पैसा बाजार में लगाया।

पैन कार्ड और आधार लिंकिंग के चलते अब इन लेन-देन को ट्रैक करना संभव हो रहा है। हालांकि, कई मामलों में आरोपी अधिकारी बिचौलियों और एजेंटों के ज़रिए निवेश करवा रहे हैं ताकि खुद का नाम सामने न आए।

किन विभागों के अधिकारी हैं रडार पर?

सूत्रों के मुताबिक, सबसे ज्यादा मामले राजस्व, नगरीय निकाय, पीडब्ल्यूडी, खनन, परिवहन और शिक्षा विभागों से जुड़े हैं। इन विभागों में काम करने वाले कई अफसरों की सैलरी से कई गुना ज्यादा संपत्ति उनके पास पाई गई है, जो अब शेयर मार्केट की शक्ल में सामने आ रही है।

सरकार भी हुई सतर्क

सरकार ने इस नए ट्रेंड को गंभीरता से लेते हुए वित्त मंत्रालय, ईडी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को भी सतर्क कर दिया है। साथ ही, बेनामी निवेशों की जांच के लिए नए टूल्स और डेटा एनालिटिक्स का सहारा लिया जा रहा है।

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