खेरवाड़ा में NH-927A की हालत बदतर, कीचड़-गड्ढों से राहगीरों की मुश्किलें बढ़ीं, हादसों का बढ़ा खतरा
जिले के खेरवाड़ा कस्बे से होकर गुजरने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 927-ए (NH-927A) इन दिनों राहगीरों और वाहन चालकों के लिए गंभीर परेशानी का कारण बना हुआ है। बरसात की शुरुआत के साथ ही इस सड़क की जर्जर हालत और भी भयावह हो गई है।
पटेल छात्रावास के पास का हिस्सा तो पूरी तरह कीचड़, दलदल और गहरे गड्ढों में तब्दील हो चुका है, जिससे आम लोगों की आवाजाही खतरनाक हो गई है।
सड़क या तालाब?
पटेल छात्रावास के सामने का हिस्सा बरसात के बाद ऐसा लग रहा है जैसे कोई छोटा तालाब बन गया हो। गड्ढों में पानी भरने और कीचड़ जमने से यह रास्ता खतरनाक बन चुका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रोजाना सैकड़ों वाहन यहां से गुजरते हैं, लेकिन हर रोज कोई न कोई फिसलकर गिरता है या दुर्घटना का शिकार होता है।
दोपहिया चालकों की सबसे बुरी स्थिति
इस खस्ताहाल सड़क पर दोपहिया वाहन चालक सबसे ज्यादा परेशान हैं। सड़क पर गड्ढे और फिसलन की वजह से कई बाइक सवार गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। बारिश के पानी में छुपे गड्ढे सड़क को और खतरनाक बना रहे हैं।
स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि हर दिन औसतन दो से तीन लोग गिरकर घायल हो रहे हैं।
जिम्मेदार विभाग मौन
स्थानीय लोगों ने कई बार लोक निर्माण विभाग (PWD) और संबंधित अधिकारियों से सड़क की मरम्मत की मांग की है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। बरसात के मौसम में यह हाल और चार गुना खतरनाक हो चुका है, लेकिन विभागीय अधिकारी मौन धारण किए बैठे हैं।
स्थानीय जनता में आक्रोश
लोगों का कहना है कि राजमार्ग होने के बावजूद इस सड़क की हालत गांव की पगडंडी से भी खराब है। कई सामाजिक संगठनों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी स्थिति की शिकायत की, लेकिन ना तो सड़क की मरम्मत हुई, ना अस्थायी राहत दी गई।
स्थानीय निवासी रमेश मीणा ने बताया,
“हर बार चुनाव में सड़क सुधारने के वादे होते हैं, लेकिन हकीकत में सड़क साल दर साल और भी बदतर हो रही है।”
क्या बोले अधिकारी?
जब इस मामले में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि
“बरसात के कारण फिलहाल बड़े काम नहीं हो सकते, लेकिन अस्थायी रूप से गड्ढों को भरने और कीचड़ हटाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।”
हालांकि स्थानीय लोगों का भरोसा इस बार भी टूटता नजर आ रहा है, क्योंकि बीते वर्षों में ऐसे ही वादे पहले भी कई बार हो चुके हैं, पर काम अधूरा ही रहा।

