
प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में बारिश का वितरण असमान रहा है। पूर्वी राजस्थान में बारिश का आंकड़ा विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा है, जहां सामान्य से 160 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई है। इसके मुकाबले पश्चिमी राजस्थान में 79 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है, जिससे वहां भी जलस्तर में वृद्धि हुई है। सामान्यतः पश्चिमी राजस्थान में सूखा पड़ा रहता है, लेकिन इस बार के मानसून ने यहां के जलाशयों और नदियों में जीवन का संचार किया है।
नदियां, नाले और बांध उफान पर, जल स्तर में बढ़ोतरी
मानसून की वजह से प्रदेश की नदियां और नाले उफान पर हैं, जिसके कारण कई स्थानों पर जलभराव और बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। हालांकि, इन स्थितियों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने तटीय क्षेत्रों और जलस्तरों के पास रह रहे लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
साथ ही, प्रदेश के प्रमुख बांधों में भी पानी की आवक तेज हो गई है। बीसलपुर, पार्वती और माही बजाज सागर जैसे प्रमुख बांधों में पानी की अच्छी आवक हुई है। कोटा संभाग के कई छोटे बांध पूरी तरह भर चुके हैं, जिससे किसानों को राहत मिल सकती है। इन बांधों का जल स्तर बढ़ने से सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो पाएगा, जो प्रदेश में कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने में सहायक होगा।
जल संसाधन विभाग की तैयारियां और भविष्य की संभावनाएं
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस साल मानसून की शुरुआत अच्छी रही है और इस प्रकार की बारिश आने वाले महीनों में भी जारी रहने की संभावना है। पानी के संग्रहण के लिए बांधों और जलाशयों को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि भारी बारिश के दौरान जलभराव से कोई नुकसान न हो।
प्रदेश सरकार ने जल स्त्रोतों के कुशल प्रबंधन के लिए पहले से ही नीतियों पर काम करना शुरू कर दिया है। यदि बारिश की यह स्थिति जारी रहती है, तो राज्य में जल संकट की समस्या से कुछ हद तक निजात मिल सकती है।