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मेघालय हनीमून मर्डर केस में बड़ा खुलासा: पत्नी सोनम रघुवंशी ने ही रचाया था राजा की हत्या का षड्यंत्र, चार आरोपी गिरफ्तार

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बांसवाड़ा जिले में गर्भवती महिला की नसबंदी का मामला सामने आया है. जब उसकी तबीयत बिगड़ी तो डॉक्टर की जांच में मामला सामने आया. लापरवाही का यह मामला कुशलगढ़ के मोहकमपुरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) का है. महिला की सोनोग्राफी रिपोर्ट में सामने आया कि वह 3 माह की गर्भवती थी. आमलीपाड़ा निवासी पीड़िता के साथ यह लापरवाही 5 महीने पहले हुई थी, जिसका खुलासा अब हुआ है. इसी साल जनवरी में रमिला नाम की महिला उसके घर आई, जिसने खुद को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बताया. उसने सलाह दी कि पीड़िता के चार बच्चे हो चुके हैं तो अब नसबंदी करवा लेनी चाहिए और इसके लिए सरकार से सहायता राशि भी मिलेगी. इसके बाद 10 जनवरी को पीड़िता को मोहकमपुरा सीएचसी लाया गया. लेकिन डॉक्टर ने बिना जांच किए ऑपरेशन कर दिया और प्रमाण-पत्र भी सौंप दिया.

बांसवाड़ा में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से गर्भवती महिला की नसबंदी, पांच महीने बाद हुआ खुलासा

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले से चिकित्सा तंत्र की चौंकाने वाली लापरवाही का मामला सामने आया है। कुशलगढ़ क्षेत्र के मोहकमपुरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में एक महिला की नसबंदी उस समय कर दी गई जब वह गर्भवती थी। यह घटना पांच महीने पुरानी है, लेकिन इसका खुलासा तब हुआ जब महिला की तबीयत बिगड़ने पर उसकी चिकित्सकीय जांच करवाई गई। जांच में यह सामने आया कि महिला तीन महीने की गर्भवती है, जिससे स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है।

पीड़िता बांसवाड़ा जिले के आमलीपाड़ा गांव की निवासी है। जनवरी 2025 में रमिला नाम की एक महिला, जिसने खुद को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बताया, पीड़िता के घर पहुंची। रमिला ने पीड़िता को समझाया कि उसके पहले से चार बच्चे हैं और अब उसे नसबंदी करवा लेनी चाहिए। इसके साथ ही उसने यह भी कहा कि नसबंदी करवाने पर सरकार की ओर से आर्थिक सहायता दी जाएगी। रमिला की बातों पर भरोसा कर पीड़िता और उसका परिवार 10 जनवरी को मोहकमपुरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा।

स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों ने बिना किसी पूर्व जांच या सोनोग्राफी के पीड़िता की नसबंदी कर दी और उसे ऑपरेशन सफल होने का प्रमाण-पत्र भी सौंप दिया। इस दौरान न तो गर्भावस्था की स्थिति की पुष्टि की गई और न ही किसी प्रकार की पूर्व चिकित्सकीय सलाह दी गई।हाल ही में जब पीड़िता की तबीयत बिगड़ी और उसे दोबारा डॉक्टर के पास ले जाया गया, तो सोनोग्राफी रिपोर्ट में सामने आया कि वह तीन माह की गर्भवती है। यह सुनकर परिवार हैरान रह गया और उन्होंने इस संबंध में चिकित्सा विभाग से शिकायत की।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच के आदेश जारी किए हैं। जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की ओर से प्राथमिक स्तर पर यह स्वीकार किया गया है कि नसबंदी से पहले गर्भावस्था की जांच नहीं की गई थी, जो कि चिकित्सा प्रोटोकॉल का उल्लंघन है।स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि नसबंदी जैसी स्थायी प्रक्रिया से पहले गर्भावस्था की पुष्टि आवश्यक है। इस प्रकार की लापरवाही महिला की सेहत और मानसिक स्थिति पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। यदि समय पर यह स्थिति स्पष्ट नहीं होती तो यह मां और गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए खतरे का कारण बन सकती थी।

परिवार ने अब दोषी डॉक्टर और संबंधित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के खिलाफ सख्त कार्रवाई और मुआवजे की मांग की है। प्रशासन का कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद जिम्मेदारों पर उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी और सरकारी स्वास्थ्य तंत्र में लापरवाही के चलते महिलाओं की जान जोखिम में डाली जा रही है।

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