Samachar Nama
×

‘इंसान का इंसान से भाईचारा, यही पैगाम हमारा....' चूरू ईद मिलाद समारोह में राजेंद्र राठौड़ का भावुक संबोधन, वायरल फुटेज में दिया बड़ा संदेश 

‘इंसान का इंसान से भाईचारा, यही पैगाम हमारा....' चूरू ईद मिलाद समारोह में राजेंद्र राठौड़ का भावुक संबोधन, वायरल फुटेज में दिया बड़ा संदेश 

ईद मिलन जैसे आयोजनों का मकसद हमेशा समाज में भाईचारे और आपसी सौहार्द को बढ़ाना होता है। इसी क्रम में चूरू में आयोजित ईद मिलन समारोह के दौरान वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र राठौड़ ने ऐसा बयान दिया, जिसने न केवल उपस्थित लोगों का दिल जीता, बल्कि सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रहा है।समारोह में बोलते हुए राठौड़ ने कहा – “इंसान का इंसान से भाईचारा, यही पैगाम हमारा।” उन्होंने यह संदेश दिया कि धर्म, जाति और संप्रदाय से ऊपर उठकर इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है। उनके इस बयान को लोगों ने उत्साह से सुना और तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया।


सामाजिक समरसता पर जोर

राठौड़ ने ईद मिलन कार्यक्रम को समाज में आपसी रिश्तों को मजबूत करने का अवसर बताया। उन्होंने कहा कि त्योहार केवल धार्मिक मान्यताओं का प्रतीक नहीं होते, बल्कि वे इंसान को इंसान से जोड़ने का माध्यम भी होते हैं। राठौड़ के मुताबिक, जब हम साथ बैठकर जश्न मनाते हैं, तो दीवारें टूटती हैं और पुल बनने का काम होता है।

राजनीति से परे संदेश

हालांकि राठौड़ लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं और कई बड़े पदों पर रह चुके हैं, लेकिन चूरू के इस कार्यक्रम में उनका अंदाज एक राजनेता से कहीं ज्यादा एक समाजसेवी का था। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि राजनीति का असली मकसद भी जनता की सेवा और समाज में सद्भाव बनाए रखना है। उनके इस बयान को स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी सराहा।

वायरल हुआ बयान

कार्यक्रम के दौरान मौजूद कई लोगों ने उनका यह संबोधन रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर साझा किया। देखते ही देखते “इंसान का इंसान से भाईचारा” वाला उनका वीडियो विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर वायरल हो गया। खासकर युवाओं और आम नागरिकों ने इस संदेश को पसंद किया और इसे समय की सबसे बड़ी जरूरत बताया।

चूरू का उदाहरण

चूरू जैसे शहर, जहां अलग-अलग समुदाय और संस्कृतियां मिलकर रहते हैं, वहां इस तरह का संदेश और भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसे आयोजनों और संदेशों से समाज में सौहार्द और विश्वास बढ़ता है। खासकर त्योहारों के समय दिया गया यह संदेश लोगों को एक-दूसरे के करीब लाता है।

जनता की प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर लोगों ने राठौड़ के बयान को सराहते हुए लिखा कि यही असली भारतीय संस्कृति है। एक यूज़र ने लिखा – “ऐसे संदेश ही हमें याद दिलाते हैं कि हम सब पहले इंसान हैं, बाकी पहचानें बाद में आती हैं।” वहीं दूसरे ने लिखा – “राजनीति से ऊपर उठकर ऐसा बयान देना काबिल-ए-तारीफ है।”

Share this story

Tags