जयपुर के महारानी कॉलेज मजार विवाद की जांच शुरू, 6 सदस्यीय कमेटी करेगी स्थल का निरीक्षण और तथ्यों का खुलासा

राजस्थान की राजधानी जयपुर के महारानी कॉलेज परिसर में स्थित मजारों को लेकर उठे विवाद के बीच अब प्रशासन ने गंभीर रुख अपनाते हुए जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिला कलेक्टर द्वारा गठित 6 सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच कमेटी ने शुक्रवार से अपना काम शुरू कर दिया है।
इस कमेटी को मजारों की वैधता, इतिहास और परिसर में इनकी स्थापना से जुड़ी सभी जानकारी जुटाने का जिम्मा सौंपा गया है। अब यह कमेटी स्पॉट का भौतिक निरीक्षण करेगी, साथ ही मौके की सीसीटीवी फुटेज, पुराने कार्मिकों और वर्तमान छात्राओं के बयान भी दर्ज करेगी।
कौन-कौन हैं जांच कमेटी में?
इस उच्चस्तरीय जांच कमेटी में शामिल किए गए अधिकारी व सदस्य निम्नलिखित हैं:
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एसडीएम जयपुर सिटी: राजेश जाखड़
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उपायुक्त (राजस्व): डॉ. प्रियवृत चारण
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सहायक पुलिस उपायुक्त: बालाराम जाट
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आर्कियोलॉजी अधीक्षक: नीरज त्रिपाठी
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सुभाष बैरवा (सामाजिक कार्यकर्ता या प्रशासनिक प्रतिनिधि)
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कॉलेज प्रिंसिपल: प्रो. पायल लोढ़ा
4 दिन में रिपोर्ट देगी कमेटी
जांच समिति को निर्देश दिए गए हैं कि वह 4 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट जिला कलेक्टर को सौंपे। रिपोर्ट में मजारों की स्थापना की तिथि, संरचनात्मक स्थिति, उनके अस्तित्व का आधार और इनसे जुड़ी ऐतिहासिक जानकारी प्रस्तुत की जाएगी।
इसके अलावा, यह भी जांचा जाएगा कि क्या इन मजारों की स्थापना किसी प्रशासनिक या संस्थागत अनुमति से हुई थी या नहीं।
मजारों के रहस्य से उठेगा पर्दा
जांच कमेटी की सबसे अहम जिम्मेदारी यही होगी कि वह यह स्पष्ट करे कि कॉलेज परिसर में मजारें कितने साल पुरानी हैं, और क्या उनका किसी इतिहास या धार्मिक परंपरा से संबंध है।
कॉलेज प्रशासन और छात्राओं के बीच इन मजारों को लेकर पिछले कुछ समय से विवाद गहराता जा रहा था, जिससे शैक्षणिक माहौल पर भी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही थी।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
इस पूरे विवाद ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। कुछ संगठनों ने इसे अतिक्रमण बताते हुए हटाने की मांग की, तो वहीं कुछ वर्गों ने धार्मिक आस्था का मामला करार दिया।
हालांकि, प्रशासन ने निष्पक्ष जांच का आश्वासन देते हुए सभी पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की है।