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भारत के दूसरे अंतरिक्षयात्री शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष यात्रा के बाद सुरक्षित लौटे, 17 अगस्त को भारत आने की संभावना

भारत के दूसरे अंतरिक्षयात्री शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष यात्रा के बाद सुरक्षित लौटे, 17 अगस्त को भारत आने की संभावना

भारत के लिए गर्व का क्षण है! भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जो कि भारत के दूसरे अंतरिक्षयात्री हैं, अपनी अंतरिक्ष यात्रा सफलतापूर्वक पूरी कर धरती पर सुरक्षित लौट आए हैं। शुभांशु ने 18 दिन अंतरिक्ष में बिताए और स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए वे और तीन अन्य अंतरिक्षयात्री कैलिफ़ोर्निया के प्रशांत महासागर में उतरे।

भारतीय समयानुसार दोपहर 3:01 पर सुरक्षित लैंडिंग

भारतीय समयानुसार दोपहर 3 बजकर 1 मिनट पर ड्रैगन यान ने धरती पर वापसी की। लैंडिंग के लगभग 50 मिनट बाद ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को यान से बाहर निकाला गया। वैज्ञानिकों और चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम ने उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया और प्राथमिक रिपोर्ट्स के अनुसार, वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं।

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने दी जानकारी

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यान की सफल वापसी के बाद बताया कि शुभांशु शुक्ला 17 अगस्त को भारत लौटेंगे। उन्होंने शुभांशु की अंतरिक्ष यात्रा को भारत की नई अंतरिक्ष नीति और वैश्विक सहयोग की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि बताया। मंत्री ने यह भी कहा कि “शुभांशु ने अंतरिक्ष में न सिर्फ भारत का झंडा ऊंचा किया, बल्कि देश की युवा पीढ़ी को भी प्रेरणा दी है।”

अंतरिक्ष में 18 दिन का अनुभव

शुभांशु और उनकी टीम ने 18 दिनों की इस यात्रा के दौरान कई वैज्ञानिक प्रयोग किए और माइक्रोग्रैविटी में मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया। इस दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में स्वदेशी उपकरणों के प्रदर्शन और संचालन का भी परीक्षण किया।

देश में जश्न का माहौल

शुभांशु की वापसी की खबर के बाद पूरे देश में हर्ष और गर्व का माहौल है। उनकी इस उपलब्धि को लेकर सोशल मीडिया पर बधाइयों का सिलसिला जारी है। प्रधानमंत्री कार्यालय और इसरो सहित तमाम शीर्ष संस्थाओं ने उन्हें सफल अंतरिक्ष यात्रा के लिए शुभकामनाएं दी हैं।

भारत के अंतरिक्ष इतिहास में नया अध्याय

शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बने हैं। उनसे पहले राकेश शर्मा 1984 में सोवियत संघ के सहयोग से अंतरिक्ष गए थे। चार दशक बाद शुभांशु की यह यात्रा न सिर्फ ऐतिहासिक है, बल्कि यह भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ानों के भविष्य, विशेष रूप से गगनयान मिशन, के लिए भी मील का पत्थर मानी जा रही है।

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