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प्रदेश में अवैध खनन और क्रशर पर्यावरण के लिए बने गंभीर खतरा, कार्रवाई को लेकर प्रदूषण नियंत्रण मंडल पर उठे सवाल

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प्रदेश में अवैध खनन, अवैध क्रशर और बिना पंजीकरण संचालित हो रही खनिज प्रसंस्करण गतिविधियां लगातार पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही हैं। इसके बावजूद प्रदूषण नियंत्रण मंडल की कार्रवाई को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। आमतौर पर मंडल की सख्ती वैध खनन पट्टों, पंजीकृत क्रशर और स्वीकृत औद्योगिक इकाइयों तक ही सीमित दिखाई देती है, जबकि खुलेआम संचालित हो रहे अवैध खनन और अवैध क्रशर कई बार कार्रवाई से बचते नजर आते हैं।

पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय लोगों का कहना है कि यह असमान कार्रवाई न केवल कानून की मंशा पर सवाल खड़े करती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को भी कमजोर करती है। अवैध खनन और क्रशर बिना किसी पर्यावरणीय स्वीकृति, प्रदूषण नियंत्रण मानकों और सुरक्षा नियमों के संचालित हो रहे हैं, जिससे वायु, जल और भूमि प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। इसके बावजूद इन पर प्रभावी कार्रवाई का अभाव चिंता का विषय बना हुआ है।

जानकारी के अनुसार जिले के रायपुर, बिजौलियां व मांडलगढ़, मंगरोप, हमीरगढ़, आसींद, पुर, कारोई और बनेड़ा जैसे क्षेत्रों में लंबे समय से अवैध खनन गतिविधियां चल रही हैं। इन इलाकों में पहाड़ियों को खोखला किया जा रहा है, खेतों और जल स्रोतों को नुकसान पहुंच रहा है और भारी वाहनों की आवाजाही से ग्रामीण इलाकों में प्रदूषण और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद ठोस कार्रवाई नहीं होती।

वहीं दूसरी ओर, वैध खनन पट्टाधारकों और पंजीकृत इकाइयों पर नियमों का सख्ती से पालन कराया जाता है। छोटी-सी तकनीकी कमी पर भी नोटिस और जुर्माने लगाए जाते हैं। इस दोहरे रवैये से यह सवाल उठ रहा है कि क्या प्रदूषण से जुड़े कानून केवल वैध इकाइयों के लिए ही बनाए गए हैं और अवैध गतिविधियों पर उनकी पकड़ कमजोर क्यों पड़ जाती है।

पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि अवैध खनन और क्रशर पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं, क्योंकि ये किसी भी प्रकार की निगरानी या नियंत्रण के दायरे में नहीं होते। ऐसे में यदि इन पर सख्ती नहीं की गई, तो आने वाले समय में इसका दुष्प्रभाव जनस्वास्थ्य, खेती और जल संसाधनों पर गंभीर रूप से पड़ेगा।

अब आमजन और सामाजिक संगठनों की मांग है कि प्रदूषण नियंत्रण मंडल और प्रशासन अवैध खनन व क्रशर के खिलाफ समान और कड़ी कार्रवाई करे। कानून का पालन कराने में भेदभाव खत्म हो और पर्यावरण संरक्षण के लिए अवैध गतिविधियों पर सख्त शिकंजा कसा जाए, ताकि प्रदेश को बढ़ते पर्यावरणीय संकट से बचाया जा सके।

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