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566 देसी रियासतों से मिलकर कैसे बना विशाल राजस्थान ? वीडियो में देखे गठन से लेकर सांस्कृतिक धरोहर और जैव विविधता की संपूर्ण दास्तान

566 देसी रियासतों से मिलकर कैसे बना विशाल राजस्थान ? वीडियो में देखे गठन से लेकर सांस्कृतिक धरोहर और जैव विविधता की संपूर्ण दास्तान

स्वतंत्रता से पहले, आज के राजस्थान को कई छोटे-बड़े 566 देसी रियासतों में विभाजित किया गया था। इनमें से 22 रियासतें वर्तमान राजस्थान के भौगोलिक क्षेत्र में स्थित थीं। इन रियासतों में जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर, अलवर, कोटा, बूंदी, भरतपुर और धौलपुर जैसी प्रमुख रियासतें थीं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल और वी.पी. मेनन के प्रयासों से इन रियासतों को भारत गणराज्य में विलय करने की पहल की गई।एक लंबी प्रक्रिया के बाद 30 मार्च 1949 को जयपुर, जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर को मिलाकर एक एकीकृत राज्य की स्थापना की गई, जिसे 'राजस्थान' नाम दिया गया। यहीं से शुरू हुआ उस राज्य का सफर, जो आज अपनी पहचान विश्वभर में बना चुका है।

संस्कृति और परंपराएं: आत्मा है राजस्थान की

राजस्थान की संस्कृति उसकी आत्मा है। यहां के लोक नृत्य जैसे गेर, घूमर, कालबेलिया, चरी नृत्य, और लोक संगीत जैसे मांगणियार और लंगा परंपरा, हर त्योहार और आयोजन को जीवंत बना देते हैं। यहां की राजस्थानी वेशभूषा, रंग-बिरंगे परिधान और पारंपरिक आभूषण, नारी सौंदर्य और पुरातन गौरव की झलक देते हैं।राजस्थान का खानपान भी उतना ही विशिष्ट है — दल-बाटी-चूरमा, गट्टे की सब्जी, केर-सांगरी, लाल मांस, और मिर्ची बड़ा यहां के प्रमुख व्यंजन हैं जो देश-विदेश में लोकप्रिय हैं।

भाषा और बोली की विविधता

राजस्थान में कई लोकभाषाएं और बोलियां प्रचलित हैं। मारवाड़ी, मेवाड़ी, ढूंढाड़ी, हाड़ौती, शेखावटी, मेवाती जैसी बोलियां स्थानीय संवाद का आधार हैं। ये बोलियां न केवल भावनात्मक रूप से लोगों को जोड़ती हैं, बल्कि साहित्य, लोककथाओं और कविताओं के माध्यम से सांस्कृतिक विरासत को भी संजोती हैं।

जैविक विविधता और प्राकृतिक संसाधन

राजस्थान अपनी भौगोलिक विविधता के लिए भी प्रसिद्ध है। एक ओर थार का रेगिस्तान, तो दूसरी ओर अरावली पर्वतमाला इस प्रदेश की पहचान हैं। यहां स्थित रणथंभौर, सरिस्का, कुम्भलगढ़ और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व जैसे संरक्षित वन क्षेत्र, न केवल जैविक विविधता का पोषण करते हैं बल्कि पर्यटन का भी महत्वपूर्ण केंद्र हैं।वन्य जीवों की बात करें तो बाघ, तेंदुआ, लोमड़ी, चिंकारा, काले हिरण, ऊंट, नीलगाय, और ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (सोन चिरैया) जैसे दुर्लभ जीव यहां पाए जाते हैं। राजस्थान में खारे और मीठे पानी की झीलें, जैसे पुष्कर, सांभर, आनासागर आदि भी हैं जो पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में सहायक हैं।

प्राकृतिक संसाधनों की धरती

राजस्थान को खनिज संपदा का खजाना माना जाता है। यह देश का प्रमुख पत्थर, मार्बल, जिप्सम, सीसा, जस्ता, तांबा, लिग्नाइट और संगमरमर उत्पादक राज्य है। विशेष रूप से मकराना का सफेद संगमरमर, जिससे ताजमहल भी बना है, विश्व प्रसिद्ध है। यहां की खदानें राज्य के आर्थिक ढांचे में महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं।

जनजातीय जीवन और परंपराएं

राजस्थान में भील, मीणा, गरासिया, सहरिया जैसी कई प्रमुख जनजातियां रहती हैं। इन जनजातियों की संस्कृति, पहनावा, नृत्य और संगीत अपनी अलग पहचान रखते हैं। वे प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन जीते हैं। उनके त्योहार, शादी-विवाह, लोक गीत और देवी-देवताओं की पूजा विधियां अद्वितीय होती हैं।भीलों को कुशल तीरंदाज के रूप में जाना जाता है, वहीं मीणा समाज का योगदान राजनीति से लेकर प्रशासन तक में उल्लेखनीय है। ये जनजातियां राजस्थान की सामाजिक विविधता को गहराई देती हैं।

पर्यटन: हर कोने में बसी है कहानी

राजस्थान का हर शहर अपने आप में एक इतिहास समेटे हुए है।

  • जयपुर – पिंक सिटी, हवामहल और आमेर किला

  • उदयपुर – झीलों का शहर

  • जैसलमेर – सोनार किला और रेत के टीलों का शहर

  • जोधपुर – नीली नगरी और मेहरानगढ़ किला

  • बूंदी, चित्तौड़गढ़, बीकानेर, अलवर, माउंट आबू – हर स्थान की अपनी अलग कथा है।

यहां के हेरिटेज होटल्स, राजसी महल, और लोक कला मेले विश्व भर के पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

राजस्थान: गौरव और संघर्ष की धरती

राजस्थान की धरती ने महाराणा प्रताप, राणा सांगा, पन्नाधाय, मीराबाई जैसे वीरों और संतों को जन्म दिया है। यहां की बलिदान की गाथाएं, युद्धों की कहानियां और आत्मसम्मान की संस्कृति भारतीय इतिहास की अमूल्य धरोहर हैं।आज का राजस्थान आधुनिकता की ओर तेजी से बढ़ रहा है लेकिन अपनी संस्कृति, मूल्यों और परंपराओं को संजोकर रखे हुए है। यह राज्य शौर्य, संस्कृति, सहिष्णुता और समृद्धि का ऐसा मेल है, जो हर भारतीय के गर्व का कारण है।

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