
राजस्थान में मौसम ने एक बार फिर करवट ली है और पश्चिमी हवाओं के प्रभाव के चलते राज्य में गर्मी का असर तेज़ हो गया है। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में ही प्रदेश के कई हिस्सों में तापमान 43 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है, जिससे आमजन को भीषण गर्मी और लू का सामना करना पड़ रहा है।
मौसम विभाग के अनुसार, बाड़मेर, जैसलमेर, श्रीगंगानगर, कोटा, टोंक और पिलानी (झुंझुनूं) में अधिकतम तापमान 43 डिग्री से ऊपर दर्ज किया गया। इनमें से कुछ स्थानों पर तापमान सामान्य से 3 से 4 डिग्री अधिक है, जो इस बात की चेतावनी देता है कि मई और जून में गर्मी और अधिक विकराल रूप ले सकती है।
पश्चिमी हवाओं का बढ़ता प्रभाव
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी राजस्थान की ओर से चल रही गर्म और शुष्क हवाओं के कारण प्रदेश में तापमान में अचानक बढ़ोतरी हुई है। खासकर थार के रेगिस्तानी इलाकों में दोपहर के समय तेज़ गर्म हवाएं चल रही हैं, जिससे लू की स्थिति बन गई है।
लू के हालात, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट
राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने गर्मी को देखते हुए नागरिकों को लू से बचाव के लिए एडवाइजरी जारी की है। लोगों को दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक घर से बाहर न निकलने की सलाह दी गई है, साथ ही पर्याप्त मात्रा में पानी पीने और ढीले-ढाले कपड़े पहनने का आग्रह किया गया है।
जनजीवन पर असर
तेज गर्मी के चलते शहरों में दोपहर के समय सड़कों पर सन्नाटा छा जाता है। बाजारों में चहल-पहल कम हो गई है और लोगों ने सुबह और शाम के समय ही आवश्यक कामों को निपटाने को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है। स्कूलों में भी गर्मी की छुट्टियों की चर्चा शुरू हो गई है।
आने वाले दिनों में क्या रहेगा मौसम का हाल?
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, अगले 4-5 दिनों तक तापमान में और वृद्धि होने की संभावना है। खासकर पश्चिमी राजस्थान के इलाकों में अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है। विभाग ने कुछ जिलों के लिए येलो और ऑरेंज अलर्ट भी जारी किया है।
कृषि पर भी पड़ रहा असर
तेज गर्मी का असर अब खेती-किसानी पर भी पड़ने लगा है। जिन इलाकों में रबी फसलों की कटाई चल रही है, वहां किसान परेशान हैं क्योंकि दोपहर में खेतों में काम करना मुश्किल हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यही स्थिति बनी रही तो आगामी खरीफ सीज़न की तैयारी भी प्रभावित हो सकती है।