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हनुमान बेनीवाल को खाली करना होगा सरकारी बंगला, देखे विडियो

हनुमान बेनीवाल को खाली करना होगा सरकारी बंगला, देखे विडियो

नागौर से लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल को सरकारी आवास खाली करने का नोटिस जारी किया गया है। यह नोटिस संपदा अधिकारी एवं अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (ADM) द्वारा गुरुवार को जारी किया गया। केवल हनुमान बेनीवाल ही नहीं, बल्कि उनके भाई व खींवसर से पूर्व विधायक नारायण बेनीवाल और पूर्व विधायक पुखराज गर्ग को भी सरकारी आवास खाली नहीं करने पर बेदखली का नोटिस जारी किया गया है।

जारी आदेश के अनुसार, इन सभी को 11 जुलाई 2025 तक सरकारी आवास खाली करना होगा, अन्यथा प्रशासन विधिक कार्रवाई करते हुए उन्हें जबरन बेदखल कर सकता है।

नोटिस की पृष्ठभूमि

लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम आने के बाद सांसदों की नई सूची के आधार पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा सरकारी आवासों के आवंटन और खाली करवाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। उसी के तहत यह कार्रवाई की जा रही है। प्रशासन का कहना है कि हनुमान बेनीवाल को आवंटित आवास की वैधता अब समाप्त हो चुकी है, लेकिन वे अब तक आवास खाली नहीं कर रहे हैं।

प्रशासनिक कार्रवाई में तेजी

एडीएम कार्यालय से जारी नोटिस में साफ लिखा गया है कि अगर निर्धारित समयसीमा तक आवास खाली नहीं किया गया, तो संबंधित व्यक्तियों को राज्य संपदा नियमों के तहत जबरन बेदखल किया जाएगा और इस दौरान किसी प्रकार की हानि के लिए सरकार उत्तरदायी नहीं होगी। संपदा विभाग की टीम को इस संबंध में निर्देश दिए जा चुके हैं कि वे 11 जुलाई के बाद स्थिति की समीक्षा कर रिपोर्ट सौंपें।

राजनीतिक बयानबाजी शुरू

इस घटनाक्रम के बाद राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के प्रमुख और सांसद हनुमान बेनीवाल ने प्रशासन की इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देने से फिलहाल इनकार किया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि वे इसे राजनीतिक प्रतिशोध की दृष्टि से देख रहे हैं।

वहीं कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं का कहना है कि नियम सभी के लिए समान हैं और अगर किसी को तय समय सीमा के बाद भी सरकारी आवास में बने रहने की अनुमति नहीं है, तो उसे खाली करना ही होगा।

सरकारी आवास विवाद नया नहीं

सरकारी आवासों को लेकर विवाद पहले भी सामने आते रहे हैं, खासकर जब नए सत्र की शुरुआत होती है और नए जनप्रतिनिधियों को आवास आवंटित करने की प्रक्रिया चल रही होती है। कई बार पुराने सांसद या विधायक आवास खाली नहीं करते, जिससे नए प्रतिनिधियों को असुविधा होती है।

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