
जयपुर के ऐतिहासिक ठिकाना मंदिर श्री गोविंददेवजी में इस वर्ष देवशयनी एकादशी का पर्व रविवार, 6 जुलाई को श्रद्धा, भक्ति और पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया जाएगा। मंदिर प्रशासन ने तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है और श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु नवीन दर्शन व्यवस्था लागू की जा रही है।
इस पावन अवसर पर ठाकुर श्री गोविंददेवजी का पंचामृत अभिषेक कर उन्हें नवीन लाल रंग की नटवर पोशाक धारण कराई जाएगी। साथ ही मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया जाएगा और ठाकुरजी को विशेष पुष्पों, गहनों और मणियों से शृंगारित किया जाएगा।
क्या है देवशयनी एकादशी?
देवशयनी एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन से भगवान विष्णु चार मासों के लिए योग निद्रा में प्रवेश करते हैं, जिसे चातुर्मास कहा जाता है। इसी दिन से विवाह, मांगलिक कार्य और शुभ संस्कारों पर भी विराम लग जाता है।
गोविंददेवजी मंदिर में हर वर्ष यह पर्व बेहद भव्य तरीके से मनाया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
विशेष दर्शन व्यवस्था
मंदिर प्रशासन ने इस बार दर्शन के लिए नवीन व्यवस्था लागू की है ताकि श्रद्धालुओं को सुगम और व्यवस्थित रूप से ठाकुरजी के दर्शन हो सकें। मंदिर के एक पदाधिकारी ने बताया कि भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए प्रवेश व निकास मार्गों को स्पष्ट रूप से चिन्हित किया गया है और स्वयंसेवकों की तैनाती की जाएगी।
दिनभर चलेगी भक्ति रस की धारा
पूरे दिन मंदिर परिसर में भक्ति संगीत, संकीर्तन, और कथा प्रवचन जैसे धार्मिक आयोजन होंगे। विभिन्न शहरों से आए भजन मंडलियों द्वारा राधा-कृष्ण भक्ति गीत प्रस्तुत किए जाएंगे। भक्तों के लिए प्रसाद वितरण की भी विशेष व्यवस्था की गई है।
श्रद्धालुओं से अपील
मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे दर्शन के दौरान संयम, शांति और अनुशासन बनाए रखें तथा मंदिर द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें। कोविड और मौसमी बीमारियों को देखते हुए स्वास्थ्य संबंधी सावधानियों का भी पालन करने की सलाह दी गई है।