
राजस्थान की राजधानी जयपुर स्थित जवाहर कला केंद्र (JKK) की अलंकार दीर्घा में एक विशिष्ट प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसमें भारत की लोकतांत्रिक यात्रा और देशव्यापी आपातकाल की महत्वपूर्ण घटनाओं को चित्रित करने वाली तस्वीरों का प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शनी खास तौर पर देशव्यापी आपातकाल के 50 वर्षों की वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित की गई थी, जिसे संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाया गया।
इस प्रदर्शनी में विभिन्न कालखंडों में देश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को दर्शाती तस्वीरें शामिल थीं। आपातकाल के दौरान की घटनाओं और उनके बाद के प्रभावों को दिखाने वाली इन तस्वीरों ने दर्शकों को उस अंधेरे दौर की याद दिलाई, जब भारतीय लोकतंत्र को संकट का सामना करना पड़ा। प्रदर्शनी में आपातकाल के दौरान लागू किए गए कड़े प्रतिबंध, राजनीतिक विरोधियों की गिरफ्तारी, और नागरिक स्वतंत्रताओं पर हुई पाबंदियों के बारे में कई महत्वपूर्ण घटनाओं को उजागर किया गया।
संविधान हत्या दिवस के मौके पर आयोजित इस प्रदर्शनी ने विशेष रूप से भारतीय लोकतंत्र की मजबूती और संघर्ष को दर्शाया, जिसके कारण आपातकाल के बाद लोकतांत्रिक अधिकारों और स्वतंत्रताओं की पुनः बहाली संभव हो पाई। प्रदर्शनी में भारतीय लोकतंत्र के विभिन्न पहलुओं को चित्रित करने वाली कला और फोटोग्राफी का संयोजन किया गया था, जिससे यह साबित हुआ कि भारत की लोकतांत्रिक यात्रा संघर्ष और उम्मीद से भरी हुई है।
इस मौके पर जवाहर कला केंद्र के अधिकारियों ने प्रदर्शनी के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह आयोजन न केवल आपातकाल के 50 साल पूरे होने के अवसर पर, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की विकास यात्रा को समझने और सराहने के लिए भी महत्वपूर्ण था। प्रदर्शनी ने लोगों को यह याद दिलाया कि लोकतंत्र की रक्षा और संवर्धन के लिए समाज की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।
प्रदर्शनी में बड़ी संख्या में कला प्रेमी, इतिहासकार, और विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने तस्वीरों के माध्यम से आपातकाल की घटनाओं और भारतीय लोकतंत्र के संघर्षों को आत्मसात किया और चर्चा की। यह आयोजन लोकतांत्रिक मूल्यों की अहमियत को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर बन गया।