राजस्थान में फर्जी गोवंश भुगतान घोटाला, वीडियो में जानें 8 जिलों की गोशालाओं पर कार्रवाई

राजस्थान में एक और बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें प्रदेश की 8 जिलों की गोशालाओं ने फर्जी गोवंश दिखाकर करोड़ों रुपये का भुगतान उठा लिया। इस मामले में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों की गोशालाएं शामिल हैं, लेकिन सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा जैसलमेर जिले में हुआ है, जहां की 28 गोशालाओं पर गायों के नाम पर फर्जी भुगतान लेने का आरोप है। इस घोटाले का खुलासा होते ही अधिकारियों ने कार्रवाई शुरू कर दी है और रिकवरी के लिए नोटिस भी जारी किए गए हैं।
मामला तब सामने आया जब ऑडिटर जनरल की टीम ने प्रदेशभर में गोशालाओं द्वारा प्राप्त भुगतान की जांच की। जांच में यह पाया गया कि कई गोशालाओं ने गायों के नाम पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पैसे उठाए हैं। इनमें से कुछ गोशालाओं ने तो गायों की संख्या भी बढ़ा-चढ़ा कर दिखायी, जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं के तहत लाभ मिला।
जैसलमेर जिले में 28 गोशालाओं ने मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया, जिनमें से कई गोशालाओं ने गायों की संख्या को बढ़ाकर दिखाया और इस आधार पर सरकारी भुगतान प्राप्त किया। इसके बाद इस मामले की गंभीरता को देखते हुए राजस्थान सरकार ने ऑडिटर जनरल के माध्यम से नोटिस जारी किए हैं, जिसमें इन गोशालाओं से फर्जी भुगतान की रिकवरी करने की बात की गई है।
इतना ही नहीं, राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) भी इस मामले की जांच कर रही है। एसीबी अधिकारियों का कहना है कि जांच में अगर किसी गोशाला के अधिकारी या कर्मचारी दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। गोशालाओं से प्राप्त किए गए फर्जी भुगतान की वसूली की प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है।
इस घोटाले को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि यह घोटाला सरकारी योजनाओं का गला घोंटने जैसा है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। वहीं, गोशालाओं में चल रही भ्रष्टाचार की गंदगी को साफ करने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता जताई है।
राज्य सरकार ने इस मामले में सख्त कदम उठाने का आश्वासन दिया है और कहा है कि प्रदेश की गोशालाओं में पारदर्शिता लाने के लिए नई दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। साथ ही, गोशालाओं की गतिविधियों पर नियमित निगरानी भी रखी जाएगी, ताकि भविष्य में इस तरह के फर्जीवाड़े की पुनरावृत्ति न हो।
फर्जी भुगतान और घोटालों के इस मामले ने राज्य की गोशालाओं की कार्यप्रणाली और प्रशासनिक व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह है कि जांच एजेंसियां इस मामले में कितनी जल्दी कार्रवाई करती हैं और दोषियों को सजा दिलवाने में सफल होती हैं।