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ईडी कोर्ट ने खारिज की पूर्व मंत्री महेश जोशी की जमानत, देखे वीडियो

ईडी कोर्ट ने खारिज की पूर्व मंत्री महेश जोशी की जमानत, देखे वीडियो

राजस्थान में बहुचर्चित जल जीवन मिशन घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मंत्री महेश जोशी सहित 5 आरोपियों की करीब 47 करोड़ 80 लाख रुपए की संपत्तियां अटैच कर दी हैं। यह संपत्तियां अचल प्रॉपर्टी, बैंक खातों और अन्य निवेशों के रूप में हैं।

इस बीच, जयपुर की ईडी मामलों की विशेष अदालत ने शुक्रवार को महेश जोशी की जमानत याचिका खारिज कर दी। विशेष न्यायाधीश खगेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि आरोपी पर गंभीर आरोप हैं और मामले में जांच अभी लंबित है, ऐसे में जमानत नहीं दी जा सकती।

जांच एजेंसी की ताबड़तोड़ कार्रवाई

ईडी ने बताया कि जल जीवन मिशन के नाम पर फंड के दुरुपयोग, कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार की जांच के दौरान कई दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक सबूत सामने आए हैं, जिनके आधार पर यह संपत्तियां अटैच की गई हैं।

ईडी ने दावा किया कि महेश जोशी और अन्य आरोपियों ने इस योजना के क्रियान्वयन के दौरान सरकारी फंड का दुरुपयोग किया और घोटाले की रकम को मनी लॉन्ड्रिंग के जरिये निवेश और संपत्ति में तब्दील किया।

अदालत में ठोस दलीलें, लेकिन राहत नहीं

जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान महेश जोशी के वकीलों ने कहा कि वे जांच में सहयोग कर रहे हैं और लंबे समय से हिरासत में हैं, इसलिए उन्हें जमानत मिलनी चाहिए।

लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा, “आरोपी पर आर्थिक अपराध से जुड़े गंभीर आरोप हैं। जांच अभी प्राथमिक स्तर पर है और साक्ष्य एकत्रित किए जा रहे हैं। ऐसे में आरोपी को जमानत देना जांच को प्रभावित कर सकता है।

विपक्षी दलों का हमला, सरकार की चुप्पी

भ्रष्टाचार के इस मामले को लेकर राज्य में राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस शासन के दौरान जल जीवन मिशन जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम में भ्रष्टाचार हुआ और आम जनता के पैसे की खुली लूट की गई।

वहीं, सरकार की ओर से फिलहाल इस मामले में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में कई और बड़े नामों पर कार्रवाई हो सकती है।

क्या है जल जीवन मिशन घोटाला?

जल जीवन मिशन, केंद्र सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी योजना है जिसका उद्देश्य हर घर तक नल से जल पहुंचाना है। राजस्थान में इस योजना के तहत हजारों करोड़ रुपए खर्च किए गए, लेकिन शिकायतें मिलीं कि कई काम अधूरे हैं या कागजों पर पूरे दिखाए गए हैं।

इन शिकायतों के आधार पर शुरू हुई जांच में यह सामने आया कि बड़ी मात्रा में फंड का गबन, बोगस कंपनियों के जरिये ठेके, और अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जीवाड़ा किया गया।

ईडी इस पूरे मामले की मनी लॉन्ड्रिंग एंगल से जांच कर रही है और अब तक करोड़ों की संपत्ति जब्त कर चुकी है।

आगे की कार्रवाई की तैयारी

सूत्रों के मुताबिक, ईडी की टीम अब अन्य आरोपियों की आर्थिक गतिविधियों की गहन जांच कर रही है। साथ ही, इस घोटाले से जुड़े राजनीतिक और प्रशासनिक नेटवर्क की परतें भी धीरे-धीरे खुलती जा रही हैं।

जल जीवन मिशन घोटाला अब राजस्थान की राजनीति और नौकरशाही दोनों के लिए एक बड़ा सिरदर्द बनता जा रहा है।

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