
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने 9 दिन पहले मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को लेकर एक बड़ा और गंभीर बयान दिया था। गहलोत ने कहा था कि "सीएम भजनलाल शर्मा को हटाने का भयंकर षड्यंत्र चल रहा है"। उनके इस बयान ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी और यह चर्चा का विषय बन गया। गहलोत का यह दावा सत्ता के भीतर चल रही खींचतान और राजनीतिक जोड़-तोड़ को लेकर था।
गहलोत के इस बयान पर राज्य की कांग्रेस राजनीति में नए मोड़ की संभावना जताई जा रही थी, क्योंकि उन्होंने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को निशाने पर लिया था। उनके बयान में ये संकेत थे कि कुछ राजनीतिक ताकतें मुख्यमंत्री को हटाने की साजिश कर रही हैं, जो राज्य की सरकार के लिए गंभीर चिंता का विषय हो सकता है।
हालांकि, गहलोत के बयान के बाद कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने अपने बयान में यह स्पष्ट किया कि राजस्थान में भजनलाल शर्मा की सरकार पांच साल तक चलेगी। डोटासरा ने कहा, "राजस्थान में भजनलाल सरकार को कोई खतरा नहीं है और यह पांच साल तक चलेगी"। उन्होंने यह भी कहा कि इस दौरान लोगों को बहुत तकलीफ होगी, जो शायद सरकार की कार्यशैली और नीतियों के कारण हो सकती है। उनके इस बयान में सरकार की आंतरिक स्थिति को लेकर सवाल उठाए गए हैं, लेकिन डोटासरा ने मुख्यमंत्री के नेतृत्व को लेकर कोई असमंजस नहीं दिखाया।
इस घटनाक्रम ने कांग्रेस पार्टी के भीतर चल रहे विभिन्न गुटों के बीच सत्ता संघर्ष को एक बार फिर से उजागर किया है। गहलोत और डोटासरा के बयानों में साफतौर पर पार्टी की आंतरिक राजनीति का प्रभाव नजर आता है। गहलोत का बयान जहां एक तरफ सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों के खिलाफ विरोध की स्थिति को व्यक्त करता है, वहीं डोटासरा ने पार्टी और मुख्यमंत्री के पक्ष में मजबूती से खड़े होकर स्थिति को स्पष्ट किया।
अब सवाल यह उठता है कि आने वाले समय में कांग्रेस के भीतर सत्ता की यह लड़ाई और तकरार क्या राजनीतिक परिणाम लाएगी, और क्या मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अपनी कुर्सी को बचा पाएंगे या नहीं? गहलोत और डोटासरा के बयानों ने राजस्थान की राजनीति को फिर से गरमा दिया है और यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी इस विवाद को कैसे संभालती है।
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