राजस्थान में इंग्लिश मीडियम स्कूलों को लेकर विवाद गहराया, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने फैसले को बताया तर्कसंगत

राजस्थान में महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों को बंद करने या अन्य स्कूलों में मर्ज करने के फैसले को लेकर जारी राजनीतिक और सामाजिक बहस थमने का नाम नहीं ले रही है। राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने एक बार फिर इस निर्णय को सही ठहराते हुए कहा है कि यह कदम विचारपूर्वक और शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
राजस्थान सरकार ने इस वर्ष जनवरी में कुल 3741 इंग्लिश मीडियम स्कूलों की समीक्षा शुरू की थी, जिनमें से कई स्कूलों को बंद करने अथवा पास के सरकारी विद्यालयों में मर्ज करने का प्रस्ताव है। मंत्री ने कहा कि इन स्कूलों में न तो पर्याप्त नामांकन था और न ही शिक्षा की गुणवत्ता उस स्तर पर पहुंच पाई थी, जैसी अपेक्षा थी।
हालांकि, इस फैसले को लेकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सख्त आपत्ति जताई है। कांग्रेस का तर्क है कि ये स्कूल पिछली अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल में शुरू किए गए थे और इनका उद्देश्य ग्रामीण और गरीब तबके के बच्चों को अंग्रेजी माध्यम की गुणवत्ता शिक्षा देना था, जो अब खतरे में है।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इन स्कूलों को बंद करना सामाजिक न्याय के खिलाफ है और इससे हजारों छात्र-छात्राओं का भविष्य प्रभावित होगा। पार्टी ने सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है।
वहीं, मदन दिलावर ने साफ कहा है कि सरकार की प्राथमिकता गुणवत्तापूर्ण और टिकाऊ शिक्षा प्रणाली विकसित करना है, न कि केवल स्कूलों की संख्या बढ़ाना। उन्होंने यह भी बताया कि जिन स्कूलों को मर्ज किया जाएगा, वहां के विद्यार्थियों को वैकल्पिक व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई जाएंगी ताकि उनकी पढ़ाई बाधित न हो।
इस बीच, शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि फैसला भले ही प्रशासनिक और आर्थिक दृष्टि से सही हो, लेकिन इसे लागू करने से पहले स्थानीय जरूरतों और सामाजिक प्रभावों का मूल्यांकन बेहद जरूरी है।
राज्य में यह मामला अब एक बड़ा शैक्षणिक और राजनीतिक मुद्दा बन चुका है, जिस पर आने वाले दिनों में और गहन चर्चा और आंदोलन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। वहीं, हजारों अभिभावकों की नजरें सरकार की अगली कार्रवाई पर टिकी हुई हैं।