दलित समुदाय के लोगों को लंदन भेजेगी भजनलाल सरकार, वीडियो में देखें आने वाले समय में हम इसे भी पूरा करेंगे
राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर एक ऐतिहासिक और समाज को सशक्त बनाने वाला कदम उठाया है। राज्य सरकार ने घोषणा की है कि दलित समाज के लोगों को अंबेडकर के पंचतीर्थों में शामिल लंदन स्थित शिक्षा तीर्थ की यात्रा करवाई जाएगी। यह पहल सामाजिक न्याय और समरसता को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा संदेश मानी जा रही है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सोमवार को डॉ. अंबेडकर जयंती के अवसर पर राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर (RIC) से एक विशेष कार्यक्रम में इस योजना की घोषणा की। इसी मौके पर उन्होंने अंबेडकर के चार अन्य तीर्थ स्थलों की यात्रा पर जाने वाली बसों को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इन तीर्थ स्थलों में महू (जन्म स्थान, मध्यप्रदेश), नागपुर (दीक्षा भूमि), मुंबई (चैत्य भूमि) और दिल्ली (महापरिनिर्वाण स्थल) शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. अंबेडकर केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचारधारा हैं, जिन्होंने दलितों, शोषितों और वंचितों के अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष किया। उन्होंने बताया कि अंबेडकर का लंदन स्थित लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स और ग्रेज इन (जहाँ उन्होंने कानून की पढ़ाई की) भारत के लिए गौरव का विषय हैं, और यह यात्रा न केवल ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण होगी, बल्कि युवाओं को प्रेरणा देने का कार्य भी करेगी।
सरकार की इस योजना के अंतर्गत चयनित प्रतिभागियों को सरकारी खर्च पर लंदन ले जाया जाएगा, जहाँ वे बाबा साहेब के शैक्षणिक जीवन से जुड़े स्थलों का भ्रमण करेंगे। यह कार्यक्रम विशेष रूप से अनुसूचित जातियों के उत्थान और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता रखने की बात भी सरकार की ओर से कही गई है।
भजनलाल सरकार की इस पहल को दलित समाज में विशेष सराहना मिल रही है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि समाज को अतीत से जोड़ने और प्रेरणा देने वाला एक कदम है। इससे युवाओं को बाबा साहेब के विचारों और संघर्षों को समझने का अवसर मिलेगा।
राज्य सरकार आने वाले दिनों में इस योजना की विस्तृत गाइडलाइन और आवेदन प्रक्रिया जारी करेगी। वहीं दूसरी ओर, विपक्ष ने भी इस पहल का स्वागत करते हुए इसे सकारात्मक बताया है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि इस तरह की योजनाएं धरातल पर सटीक क्रियान्वयन के साथ ही सफल मानी जाएंगी।
फिलहाल, डॉ. अंबेडकर की जयंती पर राजस्थान सरकार का यह फैसला पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है, और इसे सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।