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‘अरावली ग्रीन वॉल’ परियोजना, भूपेंद्र यादव ने लोगों से वन तैयार करने की अपील की

‘अरावली ग्रीन वॉल’ परियोजना, भूपेंद्र यादव ने लोगों से वन तैयार करने की अपील की

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को जोधपुर के एएफआरआई में वैज्ञानिकों और वन विभाग के अधिकारियों की बैठक ली और अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट पर दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने एएफआरआई के वैज्ञानिकों से खास तौर पर कहा कि उन्होंने प्रयोगशाला में जो भी बीज और नई वन प्रजातियां तैयार की हैं, उन्हें अरावली क्षेत्र में लगाया जाए। उदयपुर के बाद जोधपुर में अरावली प्रोजेक्ट पर यह दूसरी बैठक थी।

अरावली पर्वतमाला को क्षरण से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसके तहत गुजरात के पोरबंदर से पानीपत तक 1400 किलोमीटर लंबी और 5 किलोमीटर चौड़ी ग्रीन वॉल बनाई जाएगी। इसमें राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और दिल्ली के 29 जिले शामिल हैं। सबसे ज्यादा 19 जिले राजस्थान के हैं। सबसे ज्यादा क्षरण भी उदयपुर जिले में हुआ है। अकेले उदयपुर में ही अरावली पर्वतमाला का क्षरण गुजरात, हरियाणा और दिल्ली से ज्यादा हुआ है। सरकार का लक्ष्य 2030 तक भारत में 26 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि को पुनर्जीवित करना और जलवायु लक्ष्यों को हासिल करना है।

नए वन बीज तैयार करने की सलाह

केंद्रीय मंत्री यादव ने एएफआरआई के वैज्ञानिकों से अरावली पुनरुद्धार परियोजना लाने को कहा, ताकि ग्रीन वॉल में मदद मिल सके। उन्होंने पर्यावरण अनुकूल वनीकरण और वृक्षारोपण के लिए नए वन बीज तैयार करने को भी कहा।

कांग्रेस पर निशाना

अरावली ग्रीन वॉल परियोजना के अलावा भूपेंद्र यादव ने एएफआरआई में पत्रकारों से बातचीत में जाति जनगणना पर भी बात की। उन्होंने कर्नाटक का उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस केवल जाति जनगणना पर राजनीति कर रही है।

इस परियोजना से क्या हासिल होगा?

- थार रेगिस्तान का विस्तार रुकेगा।

- जैव विविधता बढ़ेगी।

- कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने में मदद मिलेगी।

- स्थानीय लोगों को रोजगार और आय के नए अवसर मिलेंगे।

- जल संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद मिलेगी।

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