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बांसवाड़ा में युवक की मौत के बाद सड़क पर शव रखकर किया जाम, मुआवजे की मांग को लेकर परिजनों का हंगामा

बांसवाड़ा में युवक की मौत के बाद सड़क पर शव रखकर किया जाम, मुआवजे की मांग को लेकर परिजनों का हंगामा

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में रविवार को एक दर्दनाक और सनसनीखेज घटना सामने आई, जिसने स्थानीय प्रशासन और आम लोगों को चौंका दिया। जिले के टाटीया गांव निवासी सुनील नामक युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। इसके बाद गुस्साए परिजनों और ग्रामीणों ने युवक के शव को बांसवाड़ा-उदयपुर हाईवे पर रखकर सड़क जाम कर दी और मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया।

परिजनों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि सुनील की मौत के पीछे लापरवाही और न्याय न मिलने की पीड़ा है। उन्होंने मांग की कि मृतक के परिजनों को उचित आर्थिक मुआवजा दिया जाए और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

हाईवे पर जाम से यातायात व्यवस्था ठप

घटना के चलते बांसवाड़ा-उदयपुर हाईवे पर दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। घंटों तक सड़क जाम रहने से आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। कई यात्री गर्मी में फंसे रहे और एम्बुलेंस तक प्रभावित हुईं। जाम की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची और हालात को काबू में करने की कोशिश की।

प्रशासन और परिजनों में चला वार्ता दौर

घटना की गंभीरता को देखते हुए बांसवाड़ा प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से बातचीत की। वार्ता के दौरान परिजनों ने स्पष्ट किया कि जब तक उन्हें मुआवजे की ठोस घोषणा नहीं की जाती, वे शव नहीं उठाएंगे और प्रदर्शन जारी रहेगा। प्रशासन ने जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया।

आखिरकार समझाइश के बाद शव हटाया गया

करीब 3 घंटे तक चले इस प्रदर्शन के बाद अधिकारियों की समझाइश और आश्वासन के बाद परिजनों ने शव को हाईवे से हटाया। इसके बाद यातायात व्यवस्था धीरे-धीरे सामान्य हो सकी। प्रशासन ने मृतक के परिवार को हरसंभव मदद देने का आश्वासन दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।

स्थानीय लोगों में आक्रोश

इस घटना के बाद टाटीया गांव और आसपास के इलाकों में शोक और आक्रोश का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि अक्सर ऐसी घटनाओं में पीड़ित परिवारों को समय पर न्याय और सहायता नहीं मिलती, जिससे उन्हें इस तरह का कदम उठाने को मजबूर होना पड़ता है।

यह घटना एक बार फिर प्रशासन और सरकार के तंत्र पर सवाल खड़े करती है कि आखिर क्यों पीड़ितों को अपनी बात सुनाने के लिए शव सड़कों पर लाने जैसी कठोर कार्रवाई करनी पड़ती है। अब देखना होगा कि जांच में क्या निष्कर्ष सामने आते हैं और पीड़ित परिवार को न्याय मिल पाता है या नहीं।

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