नशे के लिए पाकिस्तान में घुस गया जालंधर का युवक, एक महीने से था लापता, अब पाक रेंजर्स संग तस्वीर आई सामने
पंजाब के जालंधर जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां सतलुज नदी से सटे भोयपुर गांव का एक युवक गलती से पाकिस्तान चला गया। युवक की पहचान शरणजीत सिंह के रूप में हुई है। यह जानकारी तब सामने आई जब पाकिस्तानी रेंजर्स ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर युवक की हथकड़ी पहने एक फोटो शेयर की। फोटो वायरल होने से उसके परिवार में दहशत फैल गई।
शरणजीत सिंह के परिवार ने बताया कि वह कई दिनों से लापता था। उसके पिता सतनाम सिंह और मां अमरजीत कौर के मुताबिक, शरणजीत 2 नवंबर की शाम को घर से निकला था। उसे उसी गांव का एक युवक मंदीप सिंह अपने साथ ले गया था। उसके बाद शरणजीत कभी वापस नहीं लौटा। परिवार ने काफी ढूंढा, लेकिन जब कोई सुराग नहीं मिला तो शाहकोट पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई गई।
शरणजीत पहलवान है
परिवार वालों का कहना है कि शरणजीत पिछले 10 साल से पहलवान है, लेकिन पिछले एक साल से उसे नशे की लत लग गई थी। ड्रग्स की लत की वजह से उसका बर्ताव बदल गया था और वह अपने परिवार की बेइज्ज़ती कर रहा था। परिवार का आरोप है कि उसका दोस्त मंदीप सिंह भी ड्रग्स का आदी है और उसे खेमकरण बॉर्डर इलाके के पास छोड़ गया था। शुरू में मंदीप उन्हें गुमराह करता रहा, लेकिन बाद में उसने मान लिया कि उसने शरणजीत को तरनतारन के खेमकरण इलाके में छोड़ दिया था।
21 दिसंबर को परिवार को सोशल मीडिया से पता चला कि शरणजीत को पाकिस्तान में अरेस्ट कर लिया गया है। एक वायरल फोटो में वह पाकिस्तानी रेंजर्स के साथ हथकड़ी पहने दिख रहा था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शरणजीत को 20 दिसंबर को पाकिस्तान के कसूर जिले के सहजरा के गंडा सिंह पुलिस स्टेशन इलाके से अरेस्ट किया गया था। उस पर गैर-कानूनी तरीके से बॉर्डर पार करने का आरोप है।
एक बेटा विदेश में, दूसरे ने बॉर्डर पार किया
शरणजीत के पिता सतनाम सिंह ने कहा कि उनका बड़ा बेटा कई सालों से विदेश में रह रहा है, जबकि बेटी पंजाब में पढ़ाई कर रही है। एक बेटे को खोने से परिवार पहले ही टूट चुका है और इस घटना ने उन्हें पूरी तरह से तोड़ दिया है। माता-पिता ने भारत सरकार और प्रशासन से अपील की है कि वे उनके बेटे को सुरक्षित भारत वापस लाने की कोशिश करें। परिवार अभी प्रशासन से किसी ठोस जानकारी का इंतज़ार कर रहा है। यह मामला एक बार फिर ड्रग्स के गलत इस्तेमाल और बॉर्डर इलाकों में युवाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

