सजने लगे रथ...कब निकलेगी भगवान जगन्नाथ की यात्रा? जानें भगवान जगन्नाथ से जुड़ी पौराणिक

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा हर साल आषाढ़ माह में ओडिशा के पुरी में निकलती है। इस धार्मिक यात्रा में भाग लेने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र विराजमान होते हैं, मान्यता है कि इनके दर्शन करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। यही कारण है कि लोग अपने जीवन में एक बार इस यात्रा में शामिल होना चाहते हैं। इसके अलावा जगन्नाथ की रथ यात्रा में क्या खास है? गौरव कुमार दीक्षित से.
भारत के उड़ीसा राज्य में स्थित पुरी शहर को भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है। हर साल यहां भगवान विष्णु के स्वरूप जगन्नाथ जी की रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। वर्ष 2025 में यह यात्रा 26 जून से शुरू होकर 27 जून तक चलेगी। देश-दुनिया से लाखों लोग इस रथ यात्रा में जगन्नाथ जी के साथ शामिल होने आते हैं।
ऐसा माना जाता है कि यह रथ यात्रा भगवान श्री कृष्ण और बलभद्र और सुभद्रा से जुड़ी हुई है। भगवान जगन्नाथ की इस रथ यात्रा में श्री कृष्ण, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को सजाकर रथ पर बिठाया जाता है और फिर उन्हें पुरी में घुमाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जगन्नाथ जी के दर्शन करने से उनके भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन के अंत में भी उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। लाल और पीले रंग से बने भगवान जगन्नाथ जी के इस रथ को नंदीघोष कहा जाता है जिसका सारथी दारुक है। इसकी ऊंचाई लगभग 45 फीट है। यह रथ नीम और हांसी की लकड़ी से बना है और इसमें 16 पहिए हैं। आपको बता दें कि नंदीघोष रथ को खींचने वाली रस्सी शंख की है। इस रथ यात्रा की सबसे खास बात यह है कि भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे पीछे चलता है।