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आज मौसी के घर पहुंचेंगे भगवान जगन्नाथ, भगवान जगन्नाथ भाई-बहन के साथ पहुंचे गुंडिचा मंदिर

ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू हो गई है। 12 दिवसीय रथ यात्रा का आज दूसरा दिन है। आज फिर भगवान जगन्नाथ को मौसी के घर ले जाने के लिए रथ खींचे जाएंगे। यह भव्य यात्रा पुरी के जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुंडिचा मंदिर तक जाती...
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ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू हो गई है। 12 दिवसीय रथ यात्रा का आज दूसरा दिन है। आज फिर भगवान जगन्नाथ को मौसी के घर ले जाने के लिए रथ खींचे जाएंगे। यह भव्य यात्रा पुरी के जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुंडिचा मंदिर तक जाती है। जगन्नाथ रथ यात्रा में भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा है। देशभर से श्रद्धालु इन दिनों पुरी पहुंच रहे हैं। 12 दिवसीय रथ यात्रा को लेकर श्रद्धालु उत्साहित हैं। ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को लेकर श्रद्धालु सुबह से ही काफी उत्साहित हैं। इस यात्रा का हिस्सा बनने और इसे देखने के लिए श्रद्धालु सुबह से ही रथ यात्रा स्थल पर जुटने लगे हैं। ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में किर्गिस्तान से श्रद्धालुओं का एक समूह शामिल हुआ। भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र के रथों के चालकों में ओडिशा के राज्यपाल हरि बाबू कंभापति और मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी शामिल थे। जुलूस मंदिर नगरी की विशाल सड़कों से गुजरा। लाखों लोग भव्य शोभायात्रा के क्षणों को देखने और उत्सव में भाग लेने के लिए समुद्र तटीय मंदिर शहर में उमड़ पड़े।

जय जगन्नाथ और हरि बोल के जयकारों, झांझ, तुरही और शंखनाद के बीच शाम चार बजे सबसे पहले भगवान बलभद्र का तालध्वज रथ आगे बढ़ा। इसके बाद देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ और अंत में भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ आगे बढ़ा। तीन रथों को अलग-अलग रंगों के लकड़ी के घोड़ों से सजाया गया था। जहां भक्तों ने रथ को खींचा, वहीं पुजारियों ने रथों पर देवताओं का स्वागत किया।

पुरी में उमड़ा आस्था का सैलाब: आज मौसी के घर पहुंचेंगे भगवान जगन्नाथ; गुंडिंचा मंदिर में नौ दिन रहेंगे

भगवान श्री जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को रथ पर विराजमान कर शुक्रवार को ओडिशा के पुरी में विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा शुरू हुई। आज यात्रा के दूसरे दिन भगवान जगन्नाथ के रथ को फिर से खींचकर 12वीं शताब्दी के श्रीमंदिर से करीब 2.6 किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर ले जाया जाएगा। इस मंदिर को भगवान की मौसी का घर माना जाता है। श्री जगन्नाथ यहां नौ दिनों तक रहेंगे। 5 जुलाई को वापस मुख्य मंदिर लौटेंगे।

इससे पहले यात्रा की शुरुआत में जय जगन्नाथ और हरिबोल के जयकारों के बीच भक्त तीनों रथों को खींचते हैं। हालांकि बीच में इसे विराम दिया गया, क्योंकि सूर्यास्त के बाद रथ नहीं खींचे जाते। बलभद्र के रथ को खींचने के लिए भक्तों में मची होड़ के कारण करीब 625 भक्त घायल हो गए। दम घुटने की शिकायत पर कुछ लोगों को अस्पताल भी ले जाया गया।

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