Jagannath Rath Yatra 2025: कहां जाएंगे भगवान जगन्नाथ, बीमार होने पर क्या होगा, पढ़िए रथ यात्रा की रोचक बातें

ओडिशा के जगन्नाथ पुरी मंदिर में 27 जून को आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर रथ यात्रा निकाली जाएगी। इस अवसर पर आज हम आपको पुरी के जगन्नाथ मंदिर से जुड़े कुछ रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। यह रहस्य इस मंदिर के शिखर पर लगे ध्वज का है, जो हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। इतना ही नहीं, इस ध्वज को प्रतिदिन बदला भी जाता है। कहा जाता है कि अगर एक दिन भी शिखर ध्वज को नहीं बदला गया तो मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा। यह परंपरा भगवान के प्रति सम्मान और भक्ति को दर्शाती है। माना जाता है कि पुराना ध्वज नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है, इसलिए इसे प्रतिदिन बदला जाता है। इसके अलावा इस मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है। इस चक्र को आप जिस दिशा में भी देखेंगे, यह उसी दिशा में मुड़ा हुआ दिखाई देगा।
यहां समुद्र की लहरों की आवाज मंदिर परिसर तक सुनी जा सकती है, लेकिन मंदिर परिसर में प्रवेश करने के बाद समुद्र की लहरों की आवाज बंद हो जाती है। इन सभी रहस्यों को जानकर और सुनकर हर कोई हैरान रह जाता है। आज हम आपको इसकी पौराणिक वजह बता रहे हैं।
हनुमान जी से जुड़ी कथा
ये रहस्य हनुमान जी से जुड़े बताए जाते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु समुद्र की आवाज के कारण सो नहीं पाते थे। जब हनुमान जी को इस बात का पता चला तो उन्होंने समुद्र देव से उनकी आवाज बंद करने का अनुरोध किया। इस पर समुद्र देव ने अपनी असमर्थता जताई और कहा कि यह मेरे बस में नहीं है। जहां तक हवा जाएगी, मेरी लहरों की आवाज भी वहीं तक जाएगी। तब हनुमान जी ने समुद्र देव से उपाय पूछा तो उन्होंने बताया कि आप अपने पिता पवन देव से विनती करें और उनसे कहें कि वे मंदिर की दिशा में न बहें।
पवन देव ने बताया था उपाय
इस पर हनुमान जी ने पवन देव का आह्वान किया और उन्हें यह पीड़ा बताई। पवन देव ने भी कहा कि यह मेरे लिए संभव नहीं है। हालांकि, आप चाहें तो एक उपाय कर सकते हैं। आप मंदिर के चारों ओर इतनी तेजी से चक्कर लगाएं कि हवा एक ऐसा चक्र बन जाए जो सामान्य हवा को मंदिर के अंदर प्रवेश न करने दे।
यह उपाय सुनकर हनुमान जी हवा से भी तेज गति से मंदिर के चारों ओर चक्कर लगाने लगे। इसके बाद मंदिर के चारों ओर हवा का ऐसा चक्र बना, जिससे समुद्र की लहरों की आवाज मंदिर में आनी बंद हो गई। इसके बाद श्री भगवान जगन्नाथ आराम से सोने लगे। कहा जाता है कि इस उपाय को करने के बाद आमतौर पर हवा जिस दिशा में भी बह रही होती है, मंदिर का पता विपरीत दिशा में लहराता रहता है। ऐसा हनुमान जी के विपरीत दिशा में परिक्रमा करने के कारण हुआ।