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राजा मर्डर केस में आया ट्विस्ट, मजिस्ट्रेट के सामने पलट गए 2 आरोपी तो क्या सच में बच जाएगी सोनम? 

इंदौर के राजा रघुवंशी हत्याकांड में नया मोड़ आ गया है। राजा रघुवंशी हत्याकांड में सोनम का साथ देने वाले दो आरोपियों आकाश और आनंद ने मजिस्ट्रेट के सामने अपना जुर्म कबूलने से इनकार कर दिया। इससे पहले मेघालय पुलिस ने दावा किया था कि सभी....
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इंदौर के राजा रघुवंशी हत्याकांड में नया मोड़ आ गया है। राजा रघुवंशी हत्याकांड में सोनम का साथ देने वाले दो आरोपियों आकाश और आनंद ने मजिस्ट्रेट के सामने अपना जुर्म कबूलने से इनकार कर दिया। इससे पहले मेघालय पुलिस ने दावा किया था कि सभी आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। हालांकि, मेघालय एसआईटी प्रमुख का कहना है कि उनके पास अभी भी दोनों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए पर्याप्त भौतिक साक्ष्य हैं। अब सवाल यह है कि क्या अब सोनम बच जाएगी, क्योंकि आरोपियों ने गवाही देने से इनकार कर दिया है। लेकिन एसआईटी के बयान से ऐसा बिल्कुल नहीं लगता।

बयान से दो आरोपी, अब क्या?

राजा रघुवंशी हत्याकांड में भले ही आरोपियों ने मजिस्ट्रेट के सामने अपना जुर्म कबूलने से इनकार कर दिया हो, लेकिन एसआईटी कह रही है कि उनके खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। राजा रघुवंशी हत्याकांड की चल रही जांच में शिलांग शहर के पुलिस अधीक्षक और मेघालय एसआईटी प्रभारी हरबर्ट पिनियाड खारकोंगोर ने बताया कि दोनों आरोपियों को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, लेकिन उन्होंने कोई भी बयान देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस ने सभी आरोपियों को मजिस्ट्रेट कार्यवाही के लिए नहीं भेजा है। केवल आकाश और आनंद को भी पेश किया गया। दोनों ने चुप रहने के अपने कानूनी अधिकार का प्रयोग करते हुए गवाही नहीं देने का फैसला किया।

मेघालय पुलिस कह रही है- हमारे पास ठोस सबूत हैं

हरबर्ट पिनियाड खारकोंगोर ने कहा कि एसआईटी ने जांच की शुरुआत से ही पर्याप्त और ठोस भौतिक साक्ष्य एकत्र किए हैं, जो मजबूत और स्वीकार्य हैं। जबकि पुलिस के सामने दिए गए इकबालिया बयान अदालत में स्वीकार्य नहीं हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि कानूनी प्रक्रिया में भौतिक साक्ष्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज बयान ही अदालत में स्वीकार्य हैं

बीएनएसएस के तहत धारा 180 के तहत दर्ज बयान जांच और जिरह के दौरान मददगार होते हैं, लेकिन बीएनएसएस की धारा 183 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज बयान ही अदालत में महत्वपूर्ण सबूत बनते हैं। बता दें कि एसआईटी फिलहाल चल रही जांच के तहत फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।

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