मणिपुर में खत्म होगा राष्ट्रपति शासन? बीजेपी विधायकों ने सरकार बनाने का दावा किया पेश

मणिपुर में लंबे समय से जारी राजनीतिक गतिरोध और सामाजिक तनाव के बीच शुक्रवार शाम को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया। इंफाल के संगेनथोंग में पूर्व मंत्री थोंगम विश्वजीत सिंह के सरकारी आवास पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कम से कम 23 विधायकों ने एक अहम बैठक की। इस बैठक का उद्देश्य राज्य में स्थिरता, शांति और सामूहिक सहयोग की दिशा में ठोस पहल करना था।
सामूहिक संकल्प: निजी महत्वाकांक्षाओं से ऊपर राज्यहित
यह बैठक भाजपा विधायक थोकचोम राधेश्याम के उस बयान के दो दिन बाद आयोजित की गई जिसमें उन्होंने दावा किया था कि 44 विधायक एक लोकप्रिय सरकार बनाने के लिए सहमत हो गए हैं। उन्होंने कहा था कि विधायक जनता की इच्छा के अनुसार कार्य करने को तैयार हैं। हालांकि, इस आंकड़े में दस कुकी-जो विधायक और पांच कांग्रेस विधायक शामिल नहीं हैं।
शुक्रवार की बैठक के बाद जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में भाजपा विधायकों ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे "राज्य, उसके लोगों और भाजपा व उसके गठबंधन सहयोगियों के व्यापक हित में व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को अलग रखने का संकल्प लेते हैं।" यह बयान मणिपुर के राजनीतिक परिदृश्य में एकता और समझदारी की एक नई शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।
दो वर्षों की पीड़ा को माना, दीर्घकालिक समाधान की मांग
विधायकों ने बीते दो वर्षों में मणिपुर की जनता द्वारा झेली गई पीड़ा को स्वीकार किया और इस संकट से बाहर निकलने के लिए एक समावेशी और दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि राज्य को राजनीतिक इच्छाशक्ति, संवैधानिक सुरक्षा उपाय, निष्पक्ष कानून प्रवर्तन और समावेशी संवाद की आवश्यकता है—जो इस समय की सबसे बड़ी मांग है।
तटस्थ संवाद मंच की पहल
विचार-विमर्श के दौरान एक महत्वपूर्ण बिंदु यह रहा कि मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच पैदा हुई कटुता को दूर करने के लिए एक तटस्थ और निष्पक्ष संवाद मंच का गठन किया जाए। इसके साथ ही, विधायकों ने राज्यपाल और केंद्र सरकार से एक शांति दूत या गणमान्य व्यक्तियों के एक स्वतंत्र पैनल की नियुक्ति की संभाव्यता पर भी चर्चा की, जो समाज में फैले अविश्वास को दूर करने में मदद कर सके।
जमीनी स्तर पर संवाद की आवश्यकता
विधायकों ने इस बात पर बल दिया कि किसी भी समाधान को जमीनी स्तर पर समुदायों के बीच संवाद के माध्यम से ही टिकाऊ बनाया जा सकता है। इसके लिए उन्होंने स्थानीय सरकारी निकायों, नागरिक समाज संगठनों, छात्र संघों और धार्मिक समूहों की भागीदारी को आवश्यक बताया।
निरस्त्रीकरण और निष्पक्ष कार्रवाई की मांग
विधायकों ने घाटी और पहाड़ी क्षेत्रों में निगरानी में निरस्त्रीकरण अभियान चलाने और हाल के संघर्षों के दौरान लूटे गए हथियारों की बरामदगी की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय और राज्य सुरक्षा बलों को पूरी तरह निष्पक्षता से काम करना होगा ताकि सभी पक्षों का विश्वास बहाल हो सके।
ग्वालटाबी घटना और मीडिया संवाद
20 मई की ग्वालटाबी घटना के संदर्भ में भाजपा विधायकों ने सरकार से आग्रह किया कि मीडिया प्रतिनिधियों और नागरिक समाज संगठनों के साथ तुरंत संवाद शुरू किया जाए ताकि इस संवेदनशील मुद्दे का सौहार्दपूर्ण समाधान निकाला जा सके। विधायकों ने इस दिशा में अपना पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया।
स्थिर सरकार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
इस बैठक को भाजपा की ओर से मणिपुर में एक स्थिर, समावेशी और शांतिपूर्ण सरकार के गठन की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। विधायकों ने एक बार फिर समावेशी नेतृत्व की प्रतिबद्धता जताई और राज्य व केंद्र दोनों स्तरों पर प्रशासनिक सहयोग की अपेक्षा रखी।
जनता को उम्मीद
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह बैठक मणिपुर के लिए एक संभावित मोड़ हो सकती है। लंबे समय से अस्थिरता और हिंसा झेल रही जनता अब एक उत्तरदायी और स्थिर प्रशासन की अपेक्षा कर रही है, और भाजपा विधायकों की यह पहल उसी दिशा में एक सकारात्मक संकेत हो सकती है।
मणिपुर में लंबे समय से जारी राजनीतिक गतिरोध और सामाजिक तनाव के बीच शुक्रवार शाम को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया। इंफाल के संगेनथोंग में पूर्व मंत्री थोंगम विश्वजीत सिंह के सरकारी आवास पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कम से कम 23 विधायकों ने एक अहम बैठक की। इस बैठक का उद्देश्य राज्य में स्थिरता, शांति और सामूहिक सहयोग की दिशा में ठोस पहल करना था।
सामूहिक संकल्प: निजी महत्वाकांक्षाओं से ऊपर राज्यहित
यह बैठक भाजपा विधायक थोकचोम राधेश्याम के उस बयान के दो दिन बाद आयोजित की गई जिसमें उन्होंने दावा किया था कि 44 विधायक एक लोकप्रिय सरकार बनाने के लिए सहमत हो गए हैं। उन्होंने कहा था कि विधायक जनता की इच्छा के अनुसार कार्य करने को तैयार हैं। हालांकि, इस आंकड़े में दस कुकी-जो विधायक और पांच कांग्रेस विधायक शामिल नहीं हैं।
शुक्रवार की बैठक के बाद जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में भाजपा विधायकों ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे "राज्य, उसके लोगों और भाजपा व उसके गठबंधन सहयोगियों के व्यापक हित में व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को अलग रखने का संकल्प लेते हैं।" यह बयान मणिपुर के राजनीतिक परिदृश्य में एकता और समझदारी की एक नई शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।
दो वर्षों की पीड़ा को माना, दीर्घकालिक समाधान की मांग
विधायकों ने बीते दो वर्षों में मणिपुर की जनता द्वारा झेली गई पीड़ा को स्वीकार किया और इस संकट से बाहर निकलने के लिए एक समावेशी और दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि राज्य को राजनीतिक इच्छाशक्ति, संवैधानिक सुरक्षा उपाय, निष्पक्ष कानून प्रवर्तन और समावेशी संवाद की आवश्यकता है—जो इस समय की सबसे बड़ी मांग है।
तटस्थ संवाद मंच की पहल
विचार-विमर्श के दौरान एक महत्वपूर्ण बिंदु यह रहा कि मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच पैदा हुई कटुता को दूर करने के लिए एक तटस्थ और निष्पक्ष संवाद मंच का गठन किया जाए। इसके साथ ही, विधायकों ने राज्यपाल और केंद्र सरकार से एक शांति दूत या गणमान्य व्यक्तियों के एक स्वतंत्र पैनल की नियुक्ति की संभाव्यता पर भी चर्चा की, जो समाज में फैले अविश्वास को दूर करने में मदद कर सके।
जमीनी स्तर पर संवाद की आवश्यकता
विधायकों ने इस बात पर बल दिया कि किसी भी समाधान को जमीनी स्तर पर समुदायों के बीच संवाद के माध्यम से ही टिकाऊ बनाया जा सकता है। इसके लिए उन्होंने स्थानीय सरकारी निकायों, नागरिक समाज संगठनों, छात्र संघों और धार्मिक समूहों की भागीदारी को आवश्यक बताया।
निरस्त्रीकरण और निष्पक्ष कार्रवाई की मांग
विधायकों ने घाटी और पहाड़ी क्षेत्रों में निगरानी में निरस्त्रीकरण अभियान चलाने और हाल के संघर्षों के दौरान लूटे गए हथियारों की बरामदगी की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय और राज्य सुरक्षा बलों को पूरी तरह निष्पक्षता से काम करना होगा ताकि सभी पक्षों का विश्वास बहाल हो सके।
ग्वालटाबी घटना और मीडिया संवाद
20 मई की ग्वालटाबी घटना के संदर्भ में भाजपा विधायकों ने सरकार से आग्रह किया कि मीडिया प्रतिनिधियों और नागरिक समाज संगठनों के साथ तुरंत संवाद शुरू किया जाए ताकि इस संवेदनशील मुद्दे का सौहार्दपूर्ण समाधान निकाला जा सके। विधायकों ने इस दिशा में अपना पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया।
स्थिर सरकार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
इस बैठक को भाजपा की ओर से मणिपुर में एक स्थिर, समावेशी और शांतिपूर्ण सरकार के गठन की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। विधायकों ने एक बार फिर समावेशी नेतृत्व की प्रतिबद्धता जताई और राज्य व केंद्र दोनों स्तरों पर प्रशासनिक सहयोग की अपेक्षा रखी।
जनता को उम्मीद
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह बैठक मणिपुर के लिए एक संभावित मोड़ हो सकती है। लंबे समय से अस्थिरता और हिंसा झेल रही जनता अब एक उत्तरदायी और स्थिर प्रशासन की अपेक्षा कर रही है, और भाजपा विधायकों की यह पहल उसी दिशा में एक सकारात्मक संकेत हो सकती है।