यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे का कर दिया है विनष्टीकरण, सरकार की तरफ से HC में रिपोर्ट पेश

यूनियन कार्बाइड के 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को पीथमपुर स्थित संयंत्र में सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया गया है। यह जानकारी शासन की ओर से पेश न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार पालीवाल की हाईकोर्ट खंडपीठ को दी गई। यूसीआईएल से अतिरिक्त 19.157 मीट्रिक टन जहरीला कचरा एकत्र किया गया है, जिसे 3 जुलाई 2025 तक नष्ट कर दिया जाएगा। बताया गया कि केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तकनीकी विशेषज्ञों की देखरेख में जहरीले कचरे को नष्ट किया गया है। उल्लेखनीय है कि भोपाल निवासी आलोक प्रभु सिंह ने वर्ष 2004 में दायर याचिका में कहा था कि भोपाल गैस त्रासदी के दौरान यूनियन कार्बाइड कंपनी से जहरीली गैस के रिसाव से 4 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी। भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड कारखाने में करीब 350 मीट्रिक टन जहरीला कचरा जमा हो गया है। याचिका में जहरीले कचरे को नष्ट करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता की मौत के बाद हाईकोर्ट मामले की स्वयं सुनवाई कर रहा है। हाईकोर्ट ने इस बात को गंभीरता से लिया कि याचिका दायर होने के 20 साल बाद भी जहरीला कचरा नष्ट नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने जहरीले कचरे के निस्तारण को लेकर सख्त आदेश जारी किए। सोमवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान शासन की ओर से उपरोक्त जानकारी पेश की गई। रिपोर्ट में बताया गया कि 27 फरवरी से 12 मार्च तक ट्रायल रन के दौरान 30 मीट्रिक टन कचरा नष्ट किया गया। 30 जून की रात 1:02 बजे तक यूसीआईएल का 337 मीट्रिक टन कचरा नष्ट किया गया। यूसीआईएल से अतिरिक्त 19.157 मीट्रिक टन जहरीला कचरा एकत्र किया गया है, जिसे 3 जुलाई 2025 तक नष्ट कर दिया जाएगा। हाईकोर्ट के आदेशानुसार 270 किलोग्राम प्रति घंटे की दर से जलाकर जहरीले कचरे को नष्ट किया गया। जहरीले कचरे से 850 मीट्रिक टन राख और अवशेष एकत्र किए गए हैं। एमपीपीसीबी से सीटीओ मिलने के बाद इसे अलग लैंडफिल सेल में नष्ट किया जाएगा। खंडपीठ ने लैंडफिल के लिए विशेषज्ञ रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश जारी किया है और अगली सुनवाई 31 जुलाई को तय की है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ और खालिद फखरुद्दीन ने बहस की।