राज्य की माली हालत बिगड़ी, बढ़ते कर्ज और पेंशन बोझ के बीच फिर तैयार हो रहा सप्लीमेंट्री बजट

राज्य की आर्थिक स्थिति लगातार चुनौतियों का सामना कर रही है। सरकार का बजट आकार भले ही 4.21 लाख करोड़ रुपये हो, लेकिन राजस्व और खर्च के बीच की खाई लगातार चौड़ी होती जा रही है। इस बीच एक बार फिर से सप्लीमेंट्री बजट (अनुपूरक बजट) लाने की तैयारी सरकार ने शुरू कर दी है।
बढ़ता कर्ज, बढ़ती चिंता
राज्य सरकार पर पहले से ही हजारों करोड़ रुपये का कर्ज है और अब नए कर्ज के सहारे विकास कार्यों को आगे बढ़ाना एक बार फिर मजबूरी बनता जा रहा है। राज्य की आय का बड़ा हिस्सा वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान में चला जाता है, जिससे अन्य जरूरी योजनाओं और अधोसंरचना विकास पर खर्च करना कठिन होता जा रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, वित्तीय अनुशासन के बावजूद सरकार को बड़ी परियोजनाओं और कल्याणकारी योजनाओं के लिए बाजार से कर्ज उठाना पड़ रहा है।
पेंशन बोझ भी बना बड़ी चुनौती
राज्य में सेवानिवृत्त कर्मचारियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। इसके कारण पेंशन भुगतान का भार भी लगातार बढ़ता जा रहा है। पेंशन मद में खर्च राज्य के कुल बजट का एक बड़ा हिस्सा ले रहा है, जिससे अन्य जरूरी खर्चों पर प्रभाव पड़ रहा है।
टैक्स आय और व्यय में संतुलन नहीं
राज्य सरकार को विभिन्न प्रकार के करों जैसे जीएसटी, वैट, स्टांप शुल्क, मोटर व्हीकल टैक्स आदि से जो आय होती है, वह मौजूदा खर्चों की तुलना में अपर्याप्त साबित हो रही है। यही कारण है कि सरकार को राजस्व घाटे की भरपाई के लिए बार-बार अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत पड़ रही है।
क्यों जरूरी हो गया सप्लीमेंट्री बजट?
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मूल बजट में शामिल न हो सकी योजनाओं के लिए धन आवंटन
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अचानक आई आपदाओं या विशेष कार्यक्रमों के लिए अतिरिक्त फंडिंग
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केंद्रीय योजनाओं में राज्यांश योगदान के लिए राशि की व्यवस्था
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अधूरी परियोजनाओं को गति देने के लिए अतिरिक्त बजट
विपक्ष का हमला
राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथों लिया है। विपक्ष का कहना है कि:
"सरकार सिर्फ दिखावटी योजनाएं और घोषणाएं कर रही है। असली हालात ये हैं कि राज्य कर्ज में डूबता जा रहा है और विकास कार्य ठप पड़े हैं।"
आगे की राह
वित्त विभाग सूत्रों के अनुसार, सप्लीमेंट्री बजट की तैयारी अंतिम चरण में है और आगामी विधानसभा सत्र में इसे पेश किया जा सकता है। संभावना है कि इसमें प्राथमिकता वाले क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण विकास और अधोसंरचना को विशेष फंड आवंटित किया जाएगा।