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गांधी सागर अभ्यारण्य में विलुप्तप्राय कैराकल की मौजूदगी दर्ज, जैव विविधता संरक्षण की दिशा में बड़ी सफलता

गांधी सागर अभ्यारण्य में विलुप्तप्राय कैराकल की मौजूदगी दर्ज, जैव विविधता संरक्षण की दिशा में बड़ी सफलता

मध्य प्रदेश के गांधी सागर वन्यजीव अभ्यारण्य में विलुप्तप्राय मांसाहारी प्रजाति "कैराकल" (स्थानीय नाम: स्याहगोश) की मौजूदगी दर्ज की गई है। यह जानकारी कैमरा ट्रैप में एक वयस्क नर कैराकल की स्पष्ट तस्वीर सामने आने के बाद सामने आई है। यह घटना न केवल प्रदेश की जैव विविधता के लिए बल्कि वन्यजीव संरक्षण प्रयासों के लिए भी एक उल्लेखनीय उपलब्धि मानी जा रही है।

क्या है कैराकल?

कैराकल (Caracal) एक दुर्लभ, शर्मीला और बेहद चपल मांसाहारी जीव है, जो मुख्यतः:

  • निशाचर (रात्रिचर) होता है

  • तेज़ दौड़ने की क्षमता रखता है

  • शुष्क, झाड़ीदार, पथरीले और खुले घास के क्षेत्रों में निवास करता है

  • भारत में इसे विलुप्तप्राय श्रेणी में रखा गया है, और इसकी उपस्थिति बहुत ही दुर्लभ मानी जाती है

वन अधिकारियों के अनुसार, यह जीव अक्सर मानव संपर्क से दूर रहना पसंद करता है, इसलिए इसका कैमरा ट्रैप में आना अत्यंत दुर्लभ और महत्वपूर्ण घटना है।

वन विभाग की पुष्टि

गांधी सागर अभ्यारण्य के वन अधिकारियों ने बताया कि:

"यह पहली बार है कि इस अभ्यारण्य में कैराकल की तस्वीर कैमरे में कैद हुई है। यह इस बात का प्रमाण है कि क्षेत्र की पारिस्थितिकीय गुणवत्ता इतनी सुदृढ़ है कि ऐसी दुर्लभ प्रजातियाँ भी यहां सुरक्षित रूप से रह सकती हैं।"

संरक्षण प्रयासों को मिली पुष्टि

वन विभाग और पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि:

  • यह संरक्षण प्रयासों की सफलता का संकेत है

  • यह क्षेत्र जैविक रूप से समृद्ध और संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र का परिचायक बन चुका है

  • इससे अन्य लुप्त होती प्रजातियों के लिए भी एक सुरक्षित आवास तैयार हो सकता है

क्या होगा अगला कदम?

वन विभाग अब:

  • कैराकल की संख्या और गतिविधियों पर निगरानी के लिए अतिरिक्त कैमरा ट्रैप लगाएगा

  • आवास संरक्षण और मानव हस्तक्षेप से बचाव के उपायों को और मज़बूती से लागू करेगा

  • स्थानीय समुदायों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाएगा ताकि इस प्रजाति की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके

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