
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की शौर्यगाथा हर घर तक पहुंचनी चाहिए। उन्होंने लक्ष्मीबाई को साक्षात देवी दुर्गा का अवतार बताते हुए कहा कि उन्होंने धरती पर जन्म लेकर ग्वालियर की भूमि को अपने बलिदान से पवित्र किया, इसलिए यह भूमि हम सभी के लिए तीर्थ के समान है।
मुख्यमंत्री बुधवार को महारानी लक्ष्मीबाई के 167वें बलिदान दिवस के अवसर पर आयोजित ‘वीरांगना बलिदान मेला’ को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि महारानी लक्ष्मीबाई का जीवन साहस, स्वाभिमान और राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा है, जिसे आने वाली पीढ़ियों को बताया जाना चाहिए।
"लक्ष्मीबाई केवल झांसी की रानी नहीं, भारत की बेटी थीं"
डॉ. मोहन यादव ने कहा कि:
"लक्ष्मीबाई सिर्फ झांसी की रानी नहीं थीं, बल्कि वे भारत माता की वह वीर बेटी थीं जिन्होंने विदेशी शासन के खिलाफ तलवार उठाई। उन्होंने हमें सिखाया कि अन्याय के खिलाफ संघर्ष करना हर नागरिक का कर्तव्य है।"
उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए किए गए लक्ष्मीबाई के बलिदान को देश कभी नहीं भूल सकता।
बलिदान स्थल को किया जाएगा विकसित
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि ग्वालियर स्थित लक्ष्मीबाई बलिदान स्थल को एक राष्ट्रीय तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इस कार्य में राज्य सरकार समर्पित प्रयास करेगी और युवाओं को इतिहास से जोड़ने के लिए विशेष अभियान चलाएगी।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रही धूम
वीरांगना बलिदान मेला में स्कूली बच्चों द्वारा प्रस्तुत की गई झांसी की रानी की नाट्य प्रस्तुति और देशभक्ति गीतों ने सभी को भावविभोर कर दिया। मेले में विभिन्न विभागों द्वारा प्रदर्शनी, हस्तशिल्प स्टॉल, और स्वदेशी उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
महारानी लक्ष्मीबाई ने 18 जून 1858 को ग्वालियर की भूमि पर अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की थी। उन्होंने महिला सशक्तिकरण और स्वतंत्रता संग्राम में जो भूमिका निभाई, वह आज भी प्रेरणा का स्रोत है।