"साहब, मेरा पैसा वापस दिलवा दो..." — शिवपुरी की मेधावी छात्रा मुस्कान की गुहार, लैपटॉप योजना की राशि किसी और के खाते में
कलेक्टर साहब, मैं मेधावी छात्रा हूं… सरकार ने मुझे लैपटॉप के लिए 25,000 रुपये दिए थे। वो पैसे वापस दिलवा दो ना साहब…" — ये मार्मिक गुहार है शिवपुरी जिले की छात्रा मुस्कान कुशवाहा की, जिसकी मेहनत का इनाम किसी और को मिल गया।
मुस्कान कुशवाहा ने कक्षा 12वीं में 83% अंक हासिल कर प्रदेश सरकार की "मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना" के तहत मिलने वाली लैपटॉप सहायता राशि के लिए पात्रता हासिल की थी। योजना के अनुसार, योग्य छात्र-छात्राओं को 25 हजार रुपये की राशि उनके खाते में सीधे भेजी जाती है, जिससे वे लैपटॉप खरीद सकें।
लेकिन तकनीकी गड़बड़ी या प्रशासनिक लापरवाही के चलते मुस्कान के खाते में आने वाली यह राशि बिहार के किसी अनजान व्यक्ति के बैंक खाते में ट्रांसफर हो गई।
कई बार लगाए गुहार, नहीं मिली सुनवाई
मुस्कान और उसके पिता ने इस गलती को सुधारने के लिए शिक्षा विभाग में कई बार आवेदन दिए, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। निराश होकर अब छात्रा ने कलेक्टर से सीधा हस्तक्षेप कर मदद की मांग की है।
छात्रा का कहना है:
“मैंने मेहनत से अच्छे नंबर लाए थे ताकि पढ़ाई जारी रख सकूं, लेकिन मुझे अब तक कोई मदद नहीं मिली। मेरे जैसे और भी छात्र होंगे, जिनके साथ ऐसा हुआ होगा।”
प्रशासनिक चूक या बैंकिंग लापरवाही?
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, राशि ट्रांसफर में डेटा एंट्री की गलती की आशंका जताई जा रही है। हो सकता है कि IFSC कोड या बैंक खाता संख्या गलत फीड की गई हो, जिससे पैसे छात्रा की बजाय किसी और को चले गए।
अब यह मामला शासन के ई-पेमेंट और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) व्यवस्था पर भी सवाल उठा रहा है।
शिक्षा विभाग की चुप्पी
मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारी अब तक स्पष्ट जवाब देने से बच रहे हैं। जब इस संबंध में अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने केवल इतना कहा कि "जांच की जा रही है", जबकि छात्रा पिछले कई महीनों से परेशान है।
कलेक्टर से न्याय की उम्मीद
अब मुस्कान और उसका परिवार कलेक्टर से हस्तक्षेप की उम्मीद कर रहा है ताकि राशि पुनः जारी कराई जा सके और दोषियों की पहचान हो सके। मामला सिर्फ 25,000 रुपये का नहीं, बल्कि एक मेधावी छात्रा के सपनों और उसके अधिकार का है।

