
जब मैं भोपाल आया था, तब मेरी ज़िंदगी एक नए मोड़ पर थी। मेरे दो बच्चे यहाँ पढ़ाई कर रहे थे, और यह समय मेरे लिए न केवल व्यक्तिगत बल्कि पारिवारिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण था। मेरी बेटी की शादी हो चुकी थी और बेटे की शादी की तैयारी चल रही थी। यही वह समय था जब बेटे की पढ़ाई भी पूरी हो गई थी, और मेरे लिए यह एक विशेष क्षण था, क्योंकि बच्चों के जीवन के अगले महत्वपूर्ण कदमों के लिए उन्हें तैयार करना था।
बेटे को जिम्मेदारियों का एहसास दिलाने के लिए मैंने उसे कामकाज की जानकारी दी। यह समय था जब मैंने उसे बताया कि जीवन में सफलता पाने के लिए शिक्षा केवल एक पहलू है, बाकी की जिंदगी में उसे अपनी मेहनत, ईमानदारी और जिम्मेदारी निभाने के साथ ही आगे बढ़ना होगा। मैंने उसे अपने अनुभव और जीवन के सही रास्ते की जानकारी दी, ताकि वह अपने भविष्य को मजबूत बना सके।
मेरे लिए यह पारिवारिक अनुभव इसलिए भी खास था, क्योंकि बच्चे अब बड़े हो रहे थे और मैं चाहता था कि वे खुद से मजबूत निर्णय लेने में सक्षम हों। यह समय था जब मैंने उन्हें अपने अनुभवों और जिम्मेदारियों के बारे में बताया, ताकि वे भविष्य में किसी भी स्थिति का सामना आत्मविश्वास के साथ कर सकें।