मध्य प्रदेश में दो अलग-अलग स्थानों पर छेड़छाड़ की घटनाओं से सनसनी, दोनों आरोपित गिरफ्तार
मध्य प्रदेश में महिलाओं और किशोरियों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। सोमवार शाम राज्य के अलग-अलग हिस्सों में छेड़छाड़ की दो बड़ी घटनाएं सामने आईं। पहली घटना नर्मदापुरम जिले की है, जहां 15 वर्षीय राज्य स्तरीय वॉलीबॉल खिलाड़ी से छेड़छाड़ की गई। वहीं दूसरी घटना उज्जैन में हुई, जिसमें एक जैन साध्वी को सरेराह परेशान किया गया। दोनों ही मामलों में पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है।
नर्मदापुरम में खिलाड़ी बनी शिकार
जानकारी के अनुसार, नर्मदापुरम की रहने वाली एक 15 वर्षीय किशोरी जो राज्य स्तर पर वॉलीबॉल खेल चुकी है, सोमवार शाम अभ्यास के बाद घर लौट रही थी। इसी दौरान रास्ते में एक युवक ने उसका पीछा किया और जबरन छेड़छाड़ करने की कोशिश की। किशोरी ने शोर मचाया तो स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और युवक को पकड़ लिया। बाद में उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि किशोरी के बयान दर्ज कर लिए गए हैं और आरोपित के खिलाफ पॉक्सो एक्ट सहित छेड़छाड़ की धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
उज्जैन में साध्वी से अभद्रता
दूसरी घटना धार्मिक नगरी उज्जैन से सामने आई। यहां सोमवार शाम एक जैन साध्वी शहर के प्रमुख मार्ग से गुजर रही थीं। इसी दौरान एक युवक ने न केवल उनका रास्ता रोका, बल्कि अभद्र व्यवहार भी किया। घटना की जानकारी मिलते ही आसपास के लोग इकट्ठा हो गए और युवक को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया।
जैन समाज ने इस घटना पर कड़ा आक्रोश जताया है और साध्वी की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है। समाज के प्रतिनिधियों ने मांग की है कि आरोपी को सख्त से सख्त सजा दी जाए, ताकि भविष्य में कोई भी धार्मिक या सामाजिक महिला इस तरह की हरकतों का शिकार न बने।
पुलिस ने दिखाई तत्परता
दोनों ही मामलों में पुलिस ने तेजी दिखाते हुए आरोपितों को तुरंत हिरासत में लिया। अधिकारियों का कहना है कि दोनों आरोपितों से पूछताछ की जा रही है और कोर्ट में जल्द चार्जशीट पेश करने की तैयारी की जा रही है। नर्मदापुरम और उज्जैन पुलिस ने आश्वासन दिया है कि पीड़िताओं को हर संभव सुरक्षा दी जाएगी।
बढ़ रही घटनाओं से चिंता
गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों से महिलाओं और नाबालिगों से छेड़छाड़ और उत्पीड़न की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सख्त कानून होने के बावजूद इन मामलों में तेजी से कार्रवाई और सजा की दर कम होने के कारण अपराधियों में डर कम है।

