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सागर के सहकारिता विभाग के अधिकारी पर रिश्वत वसूलने का आरोप, EOW पर गंभीर आरोप

सागर के सहकारिता विभाग के अधिकारी पर रिश्वत वसूलने का आरोप, EOW पर गंभीर आरोप

मध्य प्रदेश के सागर जिले में सहकारिता विभाग के संयुक्त आयुक्त शिवेंद्र देव पांडेय पर रिश्वत वसूलने का गंभीर आरोप लगा है। इस मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) पर भी आरोप लगे हैं कि उन्होंने पांडेय को जानबूझकर षड्यंत्र के तहत फंसाया। मध्य प्रदेश सहकारिता विभाग राजपत्रित अधिकारी संघ ने यह दावा किया है कि पांडेय को रिश्वत लेने के मामले में झूठे तरीके से फंसाया गया है, और उन्होंने इस पर उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

आरोप और घटनाक्रम

संघ का आरोप है कि EOW ने पांडेय को रंगे हाथ पकड़ने के लिए एक रैकेट चलाया, जिसमें उन्होंने पांडेय के हाथ के पिछले हिस्से को केमिकल से सने हुए नोट पर स्पर्श कराया। यह दावा किया जा रहा है कि इस प्रक्रिया के जरिए पांडेय को अवैध रूप से रिश्वत लेने के आरोप में फंसा दिया गया। इस घटनाक्रम के बाद, पांडेय के खिलाफ रिश्वत वसूलने का मामला दर्ज कर लिया गया, लेकिन संघ का कहना है कि यह सब एक षड्यंत्र का हिस्सा था।

संघ का दावा: पांडेय को फंसाया गया

राजपत्रित अधिकारी संघ ने इस आरोप को पूरी तरह से खारिज किया है और मुख्यमंत्री से मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की अपील की है। उनका कहना है कि पांडेय एक ईमानदार अधिकारी हैं और उन्हें जानबूझकर बदनाम किया जा रहा है। संघ का आरोप है कि अधिकारियों को अवैध रूप से घेरने के लिए EOW ने इस मामले में गंभीर अनियमितताओं को अंजाम दिया है।

मुख्यमंत्री से उच्चस्तरीय जांच की मांग

इस मामले में सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री से यह अपील की है कि वे इस प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराएं। उनके अनुसार, पांडेय को जानबूझकर फंसाने का प्रयास किया गया है, और यह मामले की गंभीरता को देखते हुए एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।

EOW की प्रतिक्रिया

EOW ने इस मामले में अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच पूरी पारदर्शिता के साथ की गई थी। उन्हें उम्मीद है कि इस मामले में सभी तथ्यों को सामने लाया जाएगा और अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

आगे की कार्रवाई और संभावनाएं

अगर इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होती है, तो यह निश्चित ही मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार विरोधी गतिविधियों पर एक नई दिशा देने वाला होगा। साथ ही, यह भी देखना होगा कि क्या जांच में यह साबित होता है कि EOW ने कोई अनियमितताएं की थीं या नहीं।

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