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भोपाल में एक घंटे की बाइक रैली पर 26 लाख का खर्च, वन विभाग की पारदर्शिता पर उठे सवाल

 भोपाल में एक घंटे की बाइक रैली पर 26 लाख का खर्च, वन विभाग की पारदर्शिता पर उठे सवाल

भोपाल वन मंडल द्वारा 13 दिसंबर 2024 को आयोजित की गई एक घंटे की बाइक रैली अब विवादों में घिर गई है। जनकल्याण पर्व के तहत आयोजित इस रैली पर 26 लाख रुपये से अधिक खर्च किए जाने की जानकारी सामने आने के बाद प्रशासनिक पारदर्शिता और वित्तीय जवाबदेही पर सवाल उठने लगे हैं।

बता दें कि इस रैली का मुख्य उद्देश्य युवाओं को पर्यावरण और वन्य जीव संरक्षण के प्रति जागरूक करना था। आयोजन में सैकड़ों बाइक सवारों ने हिस्सा लिया और शहर के विभिन्न हिस्सों से होते हुए वन विभाग के जागरूकता संदेशों का प्रचार किया गया। हालांकि, अब इस रैली को लेकर जो खर्च का आंकड़ा सामने आया है, उसने न सिर्फ नागरिकों को चौंकाया है, बल्कि विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों को भी सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाने का मौका दे दिया है।

सूत्रों के अनुसार, इस एक घंटे की रैली में बाइक किराए, पेट्रोल, प्रचार सामग्री, टेंट, भोजन, प्रचार वाहनों और अतिथियों के स्वागत में भारी खर्च किया गया। इनमें से कई खर्च ऐसे हैं, जिन्हें फील्ड एक्टिविटी के मुकाबले अत्यधिक माना जा रहा है। आलोचकों का कहना है कि यदि यही राशि ग्रामीण क्षेत्रों में पौधारोपण या पर्यावरण शिक्षा कार्यक्रमों पर खर्च की जाती, तो उसका अधिक स्थायी प्रभाव होता।

पर्यावरणविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस खर्च पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि वन्यजीव और पर्यावरण संरक्षण जैसे गंभीर विषय पर प्रचार की आड़ में लाखों रुपए का एक घंटे में खर्च कर देना आवश्यकता से अधिक दिखावा प्रतीत होता है।

वन विभाग की ओर से अब तक कोई विस्तृत जवाब सामने नहीं आया है, हालांकि विभागीय सूत्रों ने यह जरूर कहा है कि “रैली युवाओं को जोड़ने और जनजागरूकता बढ़ाने की एक कोशिश थी, जिसमें आयोजन की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए खर्च किया गया।”

इधर, विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने की तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस प्रवक्ताओं ने आरोप लगाया है कि “सरकार जनकल्याण पर्व के नाम पर सरकारी धन की बेतहाशा बर्बादी कर रही है और असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे महंगे कार्यक्रम किए जा रहे हैं।”

जनता के बीच भी इस मुद्दे पर बहस शुरू हो चुकी है। आम लोग सोशल मीडिया पर वन विभाग की प्राथमिकताओं और खर्च की नैतिकता को लेकर सवाल कर रहे हैं।

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सरकार इस आयोजन की वित्तीय समीक्षा कर पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी, या यह मामला भी अन्य विवादों की तरह धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला जाएगा। फिलहाल, यह बाइक रैली अपनी मूल भावना से अधिक, खर्च के आंकड़े और जवाबदेही की मांग को लेकर चर्चा में है।

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