
इंदौर में नगर निगम द्वारा जनता के टैक्स से बनाए गए करोड़ों रुपये की लागत वाली सड़कों की बर्बादी का मामला सामने आया है। 25 साल तक टिकने के दावे के साथ बनाई गई ये सड़कें महज एक साल में ही दो इंच तक धंस गईं, जिससे निगम की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं।
क्या है मामला?
नगर निगम ने शहर की कई प्रमुख सड़कों को मल्टीलेयर तकनीक से बनवाया था। दावा किया गया था कि ये सड़कें 25 वर्षों तक बिना किसी मरम्मत के चलेंगी। लेकिन अब ये सड़कें जगह-जगह से धंसने लगी हैं और दरारें पड़ गई हैं। इससे हर दिन सैकड़ों दोपहिया वाहन चालक फिसलकर गिर रहे हैं और हादसों का खतरा बना हुआ है।
ठेकेदार ने छोड़ा जिम्मा
सड़कें बनाने वाला ठेकेदार निर्माण पूरा कर निगम को सड़कें सौंपकर निकल चुका है। लेकिन सड़कों की इस दुर्दशा को लेकर कोई मरम्मत कार्य या जिम्मेदारी तय नहीं की गई है। नगर निगम के अधिकारी मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं।
जनता में नाराजगी
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि:
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“हमने ईमानदारी से टैक्स दिया, लेकिन बदले में मौत को दावत देने वाली सड़कें मिलीं।”
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“नगर निगम के अफसर और ठेकेदारों की मिलीभगत से घटिया निर्माण हुआ है।”
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
सड़क निर्माण क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि:
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या तो घटिया सामग्री का उपयोग हुआ है
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या फिर निर्माण के दौरान प्राकृतिक ढांचे और जलनिकासी की अनदेखी की गई है
जांच और कार्रवाई की मांग
शहर के सामाजिक संगठनों और पार्षदों ने इस पूरे मामले की जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। कई लोगों ने लोकायुक्त और उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल करने की बात भी कही है