श्रवण कुमार की याद दिलाने वाली सेवा, तीन बेटों ने खाट पर बैठाकर माता-पिता को कराया 20 किमी पैदल कोटेश्वर धाम दर्शन
कहते हैं भक्ति और सेवा जब साथ चलें, तो वह दृश्य अद्वितीय बन जाता है। सावन माह में भगवान शिव की आराधना और सेवा का एक ऐसा ही अलौकिक दृश्य लांजी के प्रसिद्ध कोटेश्वर धाम में देखने को मिला, जिसने हर किसी को भावुक कर दिया।
यहां तीन बेटों ने अपने वृद्ध माता-पिता को खाट पर बैठाकर 20 किलोमीटर की पैदल यात्रा पूरी की। शिवभक्ति से ओतप्रोत यह दृश्य ऐसा था कि जिसने भी देखा, उसकी आंखें श्रद्धा और सम्मान से भर आईं। भक्तों की जुबान पर एक ही नाम था—श्रवण कुमार।
बुजुर्ग माता-पिता की उम्र और कमजोरी को देखते हुए बेटों ने उन्हें खाट पर बैठाया और बारी-बारी से कंधे पर उठाकर कठिन यात्रा पूरी की। पैरों में छाले, माथे पर पसीना, लेकिन चेहरे पर सेवा का संतोष और शिव भक्ति की आस्था थी। रास्ते में भक्तजन उन्हें देखकर नमन करते रहे।
कोटेश्वर धाम के पुजारी और श्रद्धालुओं ने भी इन बेटों की भक्ति और सेवा को अद्वितीय उदाहरण बताया। इस कांवड़ यात्रा में जहां लोग अपने लिए मनोकामना मांगते हैं, वहीं इन बेटों ने अपने माता-पिता की सेवा को सबसे बड़ा पुण्य समझा।
इस दृश्य ने न सिर्फ सावन की भक्ति को नई ऊंचाई दी, बल्कि आज की पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा भी छोड़ दी—जहां भक्ति के साथ सेवा जुड़ जाए, वहां भगवान स्वयं आशीर्वाद देने चले आते हैं।

