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कूनो में बारिश बनी चुनौती : चीता 'आशा' और उसके तीन शावक पार्क की सीमा लांघे, ट्रैकिंग में आ रही बाधा

कूनो में बारिश बनी चुनौती : चीता 'आशा' और उसके तीन शावक पार्क की सीमा लांघे, ट्रैकिंग में आ रही बाधा

कूनो नेशनल पार्क में लगातार हो रही भारी वर्षा ने एक बार फिर चीतों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। इस बार मामला और भी गंभीर है, क्योंकि मादा चीता ‘आशा’ अपने तीन शावकों के साथ पार्क की सीमा पार कर बागचा क्षेत्र की ओर निकल गई है।

जंगल में जगह-जगह जलभराव और दलदल की स्थिति बन गई है, जिससे आशा और उसके शावकों की ट्रैकिंग में भारी बाधा उत्पन्न हो रही है। बारिश की वजह से पार्क का अधिकांश इलाका किचड़ और पानी से भर गया है, जिससे वन विभाग की टीम को उन्हें ट्रैक करने में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

पार्क प्रशासन सतर्क, लगातार निगरानी जारी

कूनो प्रशासन ने बताया कि जीपीएस कॉलर से चीता आशा की लोकेशन ट्रेस की जा रही है, लेकिन वर्षा और नेटवर्क की बाधा के कारण ट्रैकिंग की गति धीमी हो गई है। आशंका है कि दलदली क्षेत्रों में शावकों की सुरक्षा को खतरा हो सकता है, क्योंकि वे अभी छोटे हैं और इस प्रकार के मौसम में बीमारियों और चोट का जोखिम अधिक होता है।

पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले

गौरतलब है कि इससे पहले भी वर्षा के मौसम में चीतों के प्राकृतिक व्यवहार और उनके मूवमेंट को लेकर समस्याएं सामने आ चुकी हैं। कई बार चीतों के पार्क से बाहर जाने और शिकारियों या मानव-वन्यजीव संघर्ष की आशंका ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है।

विशेषज्ञों ने जताई चिंता

वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय चीता पुनर्वास योजना अपने नाजुक मोड़ पर है और ऐसे मौसम में विशेष सतर्कता की आवश्यकता है। चीतों के लिए बनाए गए सुरक्षित जोन की सीमा पार करना एक चेतावनी है कि मौजूदा व्यवस्था में सुधार की जरूरत है।

निगरानी और रेस्क्यू की तैयारियां तेज

वन विभाग की टीम ने फिलहाल बागचा क्षेत्र में निगरानी बढ़ा दी है। यदि आवश्यक हुआ तो रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जाएगा, लेकिन प्राकृतिक हालातों को देखते हुए यह कार्य अत्यंत चुनौतीपूर्ण होगा।

अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि क्या 'आशा' और उसके शावक सुरक्षित रूप से वापस कूनो पार्क की सीमा में लौट पाएंगे या वन विभाग को बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना पड़ेगा।

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