उल्टी-घबराहट होने पर गर्भवती को अस्पताल में कराया भर्ती, परिजन बोले- सही इलाज नहीं मिलने से हुई मौत

सीहोर जिले के भैरूंदा सिविल अस्पताल में इलाज के अभाव में एक गर्भवती महिला की मौत हो गई। बुधवार को परिजन गर्भवती महिला को सिविल अस्पताल लेकर आए। मौके पर स्टाफ नर्स मौजूद थी। परिजनों का कहना है कि उचित इलाज के अभाव में महिला की मौत हुई है। बता दें कि यह पहला मामला नहीं है। इस घटना के दो माह पहले क्षेत्र की पंचायत ताजपुरा की एक गर्भवती महिला की भी इलाज के अभाव में मौत हो गई थी। उस समय स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई के नाम पर लापरवाही बरतने वालों को क्लीन चिट दे दी थी। मिली जानकारी के अनुसार क्षेत्र के तिलाड़िया गांव निवासी रामकृष्ण धावर की पत्नी 25 वर्षीय गर्भवती उषा को उल्टी और घबराहट की शिकायत होने पर परिजन दोपहर 2:45 बजे सिविल अस्पताल लेकर आए। इस दौरान अस्पताल में कोई भी महिला डॉक्टर मौजूद नहीं थी। स्टाफ नर्सों ने गर्भवती महिला को इमरजेंसी कक्ष में भर्ती कर उसका इलाज शुरू किया, लेकिन उसे आराम नहीं मिल रहा था। परिजन बार-बार महिला डॉक्टर को बुलाने की मांग कर रहे थे। स्टाफ नर्स ने कहा कि डॉक्टर को सूचना दे दी गई है, वे आएंगे। लेकिन, जब महिला डॉक्टर अस्पताल पहुंची तो गर्भवती महिला की मौत हो गई। इस मामले में महिला के पति रामकृष्ण ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी को इलाज के लिए भर्ती किया गया था और उन्हें बोतल दी गई थी, लेकिन उन्हें आराम नहीं मिला। इलाज के दौरान पत्नी की मौत हो गई।
दो माह पहले भी गर्भवती महिला की हुई थी मौत
अस्पताल में यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई गर्भवती महिलाओं की इलाज के अभाव में मौत हो चुकी है। दो माह पहले भी ताजपुरा में रहने वाली गर्भवती महिला और उसके नवजात की महिला डॉक्टर के इलाज और लापरवाही के कारण मौत हो गई थी। उस मामले में भी परिजनों ने अस्पताल पर गंभीर आरोप लगाए थे। उसके बाद सीएमएचओ ने जांच टीम बनाकर जांच कराई, लेकिन सभी लापरवाह लोगों को क्लीन चिट देकर मामले को दबा दिया गया। इस संबंध में ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर मनीष सारस्वत ने बताया कि महिला डॉक्टर भारती पंडोले मौके पर मौजूद थीं। महिला को उल्टी और घबराहट की शिकायत होने पर इलाज दिया गया था। लेकिन महिला की मौत भर्ती होने के 45 मिनट बाद ही हो गई। अस्पताल प्रबंधन पर लगाए गए आरोप निराधार हैं।