स्कूल में छात्राओं के यौन शोषण के मामले में पीएमओ ने लिया संज्ञान, 9 साल बाद भी FIR नहीं, प्रशासनिक जांच में खुलासा

मध्यप्रदेश के इंदौर शहर के एक निजी स्कूल में चौथी कक्षा की छात्राओं के यौन शोषण की शिकायत ने एक बार फिर शिक्षण संस्थानों की सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस गंभीर प्रकरण में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने भी संज्ञान लिया है। 'डिमांड ऑफ जस्टिस' संस्था द्वारा दायर याचिका पर कार्रवाई करते हुए पीएमओ ने निर्देश जारी किए, जिसके बाद स्थानीय प्रशासन द्वारा जांच कराई गई।
जांच में हुआ यौन शोषण का खुलासा
प्रशासनिक जांच में यह साफ तौर पर सामने आया है कि स्कूल की चौथी कक्षा में पढ़ने वाली कई छात्राएं यौन शोषण का शिकार हुई थीं। शिकायत के अनुसार, यह मामला करीब 9 साल पुराना है, लेकिन अब तक पुलिस ने इस पर न तो एफआईआर दर्ज की और न ही ठोस कदम उठाए।
'डिमांड ऑफ जस्टिस' संस्था के प्रतिनिधियों ने बताया:
“हमने जब इस मामले को पीएमओ तक पहुंचाया, तब जाकर प्रशासन हरकत में आया। बच्चों के साथ यह अन्याय है कि इतने साल बीतने के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिला।”
पुलिस की लापरवाही पर उठे सवाल
इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में है। इतने गंभीर आरोपों के बावजूद एफआईआर दर्ज न करना यह दर्शाता है कि या तो पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया या फिर प्रभावशाली तत्वों के दबाव में कार्रवाई नहीं की गई।
मामले से जुड़े एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा:
“एक तरफ ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा दिया जाता है, दूसरी तरफ बेटियों की सुरक्षा पर प्रशासन और पुलिस की चुप्पी शर्मनाक है।”
अभिभावकों में आक्रोश, कार्रवाई की मांग
इस खुलासे के बाद पीड़ित छात्राओं के अभिभावकों और सामाजिक संगठनों में गहरा आक्रोश है। उन्होंने प्रशासन और सरकार से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और तत्काल एफआईआर दर्ज कर बच्चों को न्याय दिलाने की मांग की है।
आगे की कार्रवाई पर नजर
प्रशासन की ओर से संकेत दिए गए हैं कि अब इस मामले को लेकर दुबारा जांच और कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यदि पुलिस विभाग की लापरवाही पाई गई, तो आरोपी अधिकारियों पर भी कार्रवाई संभव है। राज्य महिला आयोग और बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भी इस मामले में सूचित किए जाने की संभावना है।