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सावन के पहले सोमवार प्रजा का हाल जानने निकले उज्जैन के राजा महाकाल, वायरल वीडियो में देखे प्रथम सवारी की भव्य झलकियां 

सावन के पहले सोमवार प्रजा का हाल जानने निकले उज्जैन के राजा महाकाल, वायरल वीडियो में देखे प्रथम सवारी की भव्य झलकियां 

सावन माह के पहले सोमवार पर आज उज्जैन में भगवान महाकालेश्वर की पहली शोभायात्रा भव्य वैदिक रीति से निकाली गई। भगवान महाकाल नई पालकी पर सवार होकर प्रजा का हालचाल जानने नगर भ्रमण पर निकले। शाही अंदाज में निकाली गई यह शोभायात्रा महाकाल मंदिर से शुरू होकर शिप्रा नदी तक जाएगी, जहां पूजा-अर्चना के बाद वापस मंदिर लौटेगी। इस खास मौके पर भजन मंडलियां, डमरू दल और हजारों श्रद्धालु धार्मिक उत्साह से ओतप्रोत नजर आए। भगवान महाकाल अपने मनमोहन स्वरूप में नगर भ्रमण पर निकले हैं। शोभायात्रा में 10 साल बाद नई चांदी की पालकी शामिल की गई है।


पहली बार नई पालकी में सवार हुए महाकाल
इस साल पहली बार भगवान महाकाल नई पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले। यह पालकी भिलाई के एक भक्त ने गुप्त रूप से दान की थी। सागौन की लकड़ी और मजबूत स्टील पाइपों से बनी इस पालकी का वजन 100 किलोग्राम है, जिसकी लंबाई 17 फीट, चौड़ाई 3 फीट और ऊँचाई 5 फीट है। पालकी 20 किलो 600 ग्राम चांदी से मढ़ी हुई है, जिस पर सूर्य, स्वस्तिक, कमल और सिंह की सुंदर नक्काशी की गई है। पालकी को उठाने वाली भुजाओं पर भी सिंह के मुख का आकार है, जो इसकी राजसी भव्यता को और बढ़ाता है।

सैकड़ों मंडलियाँ बनीं आकर्षण का केंद्र
महाकाल की शोभायात्रा में बड़ी संख्या में भजन मंडलियाँ, डमरू वादक, पारंपरिक वाद्य यंत्रों से सजी मंडलियाँ और श्रद्धालु शामिल हुए। सीधी से घसिया बाजा दल और भिलाई, भोपाल, विदिशा व अन्य जिलों से आई मंडलियों ने नृत्य-गीतों से भगवान की आराधना की। कई मंडलियों की महिलाओं ने हरे रंग की साड़ियों में आकर्षक प्रस्तुतियाँ दीं। उज्जैन की गलियों से गुज़री यह शोभायात्रा एक धार्मिक उत्सव में बदल गई।

शोभायात्रा का मार्ग, सुरक्षा के कड़े इंतजाम
महाकालेश्वर मंदिर से शुरू हुई महाकाल की शोभायात्रा ढालिया बाखल, रामघाट, सिद्धवट मार्ग होते हुए शिप्रा नदी पहुँची। यहाँ वैदिक रीति-रिवाजों से भगवान की पूजा-अर्चना की गई। यह पालकी शाम करीब 7 बजे मंदिर पहुँचेगी, जिसके बाद शयन आरती तक मंदिर के पट खुले रहेंगे। सुबह 2:30 बजे पट खुलने के साथ ही दिन भर दर्शन-पूजन का सिलसिला चलता रहा। प्रशासन ने पूरे मार्ग पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। शोभायात्रा के दौरान भारी पुलिस बल, ड्रोन निगरानी, सीसीटीवी कैमरे और आपदा प्रबंधन दल सतर्क रहे।

हर शोभायात्रा में बाबा महाकाल अलग-अलग स्वरूपों में देंगे दर्शन

पहली शोभायात्रा के बाद दूसरी शोभायात्रा 21 जुलाई, तीसरी 28 जुलाई, चौथी 4 अगस्त, पाँचवीं 11 अगस्त और अंतिम शाही शोभायात्रा 18 अगस्त को होगी। हर शोभायात्रा में भगवान महाकालेश्वर अलग-अलग स्वरूपों में दर्शन देंगे। कभी पालकी में, कभी हाथी पर, कभी गरुड़ रथ या नंदी रथ पर विराजमान होकर भगवान अपने भक्तों को दर्शन देंगे। शाही जुलूस में दर्शन सप्तमुखी स्वरूप (सप्तधान मुखारविंद) में होंगे।

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