अब ‘स्वदेशी’ उत्पादों पर भी होगा खास लोगो, उपभोक्ता को मिलेगी पहचान में सहूलियत
जैसे खाने-पीने की चीजों पर शाकाहारी (हरा चिह्न) और मांसाहारी (लाल चिह्न) प्रतीक लगाए जाते हैं, वैसे ही अब स्वदेशी उत्पादों को चिन्हित करने के लिए विशेष 'स्वदेशी लोगो' लाने पर विचार किया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य है कि उपभोक्ता को आसानी से यह पता चल सके कि वह जो वस्तु खरीद रहा है, वह ‘स्वदेशी’ है या नहीं।
यह विचार वर्तमान में केंद्र सरकार के स्तर पर मंथन में है, और इसके लिए संबंधित मंत्रालयों तथा उपभोक्ता संगठनों से प्रस्ताव और सुझाव मांगे गए हैं। यदि यह योजना लागू होती है, तो देशी वस्तुओं को एक अलग पहचान मिल सकेगी, जिससे स्थानीय उद्योगों और मेक इन इंडिया अभियान को नई ताकत मिलेगी।
उपभोक्ता को मिलेगा स्पष्ट संकेत
अभी तक उपभोक्ता को यह जानने में दिक्कत होती है कि कोई उत्पाद भारत में बना है या विदेश से आयातित। लेकिन यदि स्वदेशी चिन्ह वाला लोगो उत्पाद पर छपा रहेगा, तो कोई भी ग्राहक पलभर में यह पहचान सकेगा कि वह देशी वस्तु खरीद रहा है।
सरकार का मानना है कि स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए उपभोक्ताओं को सूचित विकल्प देना जरूरी है। ठीक वैसे ही जैसे खाद्य वस्तुओं पर शाकाहार और मांसाहार के प्रतीक लोगों को विकल्प चुनने में मदद करते हैं।
क्या होगा ‘स्वदेशी’ की परिभाषा?
इस पहल के तहत यह भी तय किया जाएगा कि ‘स्वदेशी उत्पाद’ की परिभाषा क्या होगी—
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क्या वह वस्तु जो पूरी तरह भारत में निर्मित हो?
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या फिर जिसके कच्चे माल और निर्माण प्रक्रिया का एक निश्चित प्रतिशत भारतीय हो?
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए प्रमाणन की प्रक्रिया और लोगो डिजाइन को अंतिम रूप दिया जाएगा।
छोटे उद्यमियों को मिलेगा फायदा
‘स्वदेशी लोगो’ की शुरुआत से विशेष रूप से स्थानीय कारीगरों, एमएसएमई, और ग्रामीण उद्यमियों को फायदा होगा। इससे उनके उत्पादों को बाजार में अलग पहचान मिलेगी और उपभोक्ता स्तर पर भरोसा बढ़ेगा।
आत्मनिर्भर भारत अभियान को मिलेगी रफ्तार
यह कदम सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियानों को मजबूती देगा। इसके साथ ही विदेशी ब्रांडों पर निर्भरता कम करने और घरेलू उत्पादों के प्रति रुझान बढ़ाने की दिशा में यह एक अहम पहल हो सकती है।

