मध्य प्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण की नई व्यवस्था का अधिसूचनाः जल्द ही लागू होगी मप्र लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025

मध्य प्रदेश में लंबे समय से प्रतीक्षित पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित नई व्यवस्था अब अपनी रूपरेखा तैयार करने जा रही है। राज्य सरकार ने मप्र लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 को एक-दो दिनों में अधिसूचित (नोटिफाई) करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके साथ ही सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने संकेत दिया है कि सभी विभागों में विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की प्रक्रिया भी शीघ्र शुरू की जाएगी।
यह नया नियम, विशेष रूप से सरकारी कर्मचारियों के लिए एक अहम कदम माना जा रहा है, क्योंकि इसमें आरक्षण के तहत पदोन्नति की व्यवस्था को लागू किया जाएगा। इसके परिणामस्वरूप, सरकारी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षित वर्गों के लिए निर्धारित आरक्षण के हिसाब से लाभ मिलेगा। यह कदम मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत है, जो लंबे समय से इस प्रणाली के लागू होने का इंतजार कर रहे थे।
डीपीसी की प्रक्रिया में बदलाव और इसकी महत्वता
जीएडी ने यह भी बताया कि पहले डीपीसी का आयोजन दस दिन के भीतर किया जाएगा। इस दौरान वर्ष 2025 के पदों के लिए पदोन्नति प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके बाद, वर्ष 2026 के लिए डीपीसी सितंबर महीने में आयोजित करने का प्रस्ताव है। डीपीसी की यह प्रक्रिया कर्मचारियों की कार्यक्षमता और योग्यता के आधार पर उन्हें उच्च पदों पर पदोन्नत करने का अवसर प्रदान करती है, और इसे लेकर कर्मचारियों में उत्साह का माहौल है।
पदोन्नति नियम 2025 में क्या खास है?
मप्र लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 के तहत, आरक्षण प्रणाली को पूरी तरह से लागू किया जाएगा, जिससे कि विशेष रूप से अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के कर्मचारियों को अधिक अवसर मिल सकेंगे। यह नियम कर्मचारियों के लिए न्यायपूर्ण और समान अवसर सुनिश्चित करेगा और सरकारी सेवा में अधिक समानता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
कर्मचारियों का मिलाजुला दृष्टिकोण
इस नए नियम का स्वागत भी किया जा रहा है, हालांकि कुछ कर्मचारी संगठन इससे जुड़ी संभावित चुनौतियों के बारे में भी चर्चा कर रहे हैं। उनके अनुसार, पदोन्नति में आरक्षण का लाभ पाने वाले कर्मचारियों के साथ-साथ प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ लागू हो। इससे कर्मचारी वर्ग में एक विश्वास का माहौल बनेगा और किसी भी प्रकार के विवाद से बचा जा सकेगा।