मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामलों की श्रृंखला थमने का नाम नहीं ले रही है। जैसे ही ऑइल पेंट घोटाले की चर्चाएं थमी भी नहीं थीं, एक और नया मामला सामने आ गया है, जिसने प्रशासन और सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ताजा मामला शहडोल जिले से जुड़ा है, जहां एक नए घोटाले ने शासन और जनता दोनों को सकते में डाल दिया है।
जानकारी के अनुसार, शहडोल में करोड़ों रुपये की अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि जिले में एक सरकारी योजना के अंतर्गत उपयोग में लाई जाने वाली सामग्रियों की खरीद-फरोख्त में भारी गड़बड़ी हुई है। इसमें कई अधिकारियों की मिलीभगत होने की आशंका जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि जो सामान सरकारी रिकॉर्ड में ऊंची दरों पर खरीदा गया दिखाया गया है, वह वास्तव में या तो बाजार दर से बहुत कम कीमत का था या फिर पूरी तरह से नकली व निम्न गुणवत्ता वाला निकला।
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि जनता के टैक्स के पैसे से चलने वाली योजनाओं में इस तरह की लापरवाही और भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। विरोध के स्वर तेज होते देख जिला प्रशासन हरकत में आया है और मामले की प्रारंभिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
शहडोल घोटाले की तुलना हाल ही में सामने आए ऑइल पेंट घोटाले से भी की जा रही है। उस मामले में भी यह पाया गया था कि स्कूलों में रंगाई-पुताई के नाम पर लाखों रुपये की हेराफेरी की गई थी। काम पूरा न होने के बावजूद भुगतान कर दिया गया था, और कई जगहों पर बिना काम किए ही सरकारी रिकॉर्ड में ‘पूरा’ दिखा दिया गया था। ऐसे में एक के बाद एक भ्रष्टाचार के मामले उजागर होना प्रदेश में पारदर्शिता और सुशासन के दावों की पोल खोल रहा है।
विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने का मौका नहीं छोड़ा। कांग्रेस प्रवक्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि “भ्रष्टाचार अब मध्य प्रदेश में संस्थागत बन गया है। हर विभाग में घोटाले हो रहे हैं और मुख्यमंत्री मौन हैं। यह जनता के साथ धोखा है।”

